भजन का यह सबसे अच्छा दौर : अनूप जलोटा

'साहित्य आजतक-2017' के उद्घाटन पर पहुंचे भजन गायक अनूप जलोटा ने कहा कि यह भजन का सबसे अच्छा दौर है। इस समय 15 टीवी चैनल धार्मिक कंटेट बेस्ड हैं;

Update: 2017-11-10 21:26 GMT

नई दिल्ली। 'साहित्य आजतक-2017' के उद्घाटन पर पहुंचे भजन गायक अनूप जलोटा ने कहा कि यह भजन का सबसे अच्छा दौर है। इस समय 15 टीवी चैनल धार्मिक कंटेट बेस्ड हैं। रीजनल की बात की जाए तो 45 चैनल धार्मिक हैं। पहले फिल्में भजन तक सीमित थी, इसके बाद अलबम और कैसेट्स आए। फिर महाभारत रामायण और अब ये जगह चैनल्स ने ले ली है। इस मौके पर गजल गायक तलत अजीज ने भी शिरकत की। उन्होंने गजल का असली मतलब समझाया और कहा, "एक बार एक लड़की ने मुझसे पूछा कि हम जैसे युवा कैसे गजल सीख सकते हैं, मैंने दो लाइन गाकर बताई 'अगर तलाश करूं कोई मिल ही जाएगा, मगर तुम्हारी तरह मुझको कौन चाहेगा' उसे सुनने में अच्छा लगा। मैंने कहा यही गजल है। जो दिल को छू जाए, वही गजल की परिभाषा है।"

गजल के बारे में जलोटा ने कहा, "जब तक मोहब्बत है, तब तक गजल रहेगी। ये मोहब्बत की भाषा है। हिन्दुस्तान में लोग दिन की शुरुआत भजन से करते हैं और शाम गजल सुनकर बिताते हैं।" 

कार्यक्रम में नीलेश मिश्र ने कहा, "वह फिल्मों में गीत लिखने से उकता गए हैं क्योंकि बॉलीवुड में गानों की जगह रिंगटोन की मांग की जाती है। इसीलिए मैं बॉलीवुड के लिए गानें नहीं लिखना चाहता हूं।" 

कार्यक्रम में पहुंचे कवि सुधांशु फिरदौस, कवि गौरव सोलंकी और कवि बाबुशा कोहली ने नई आवाज की चुनौतियां पर अपने विचार रखे। बाबुशा कोहली ने कहा कि मौजूदा समय में सोशल मीडिया ने नई आवाज को सपोर्ट दिया है। अब लोगों तक पहुंचना उनके लिए पहले से ज्यादा आसान है। वहीं गौरव सोलंकी ने कहा कि यह बदलाव का युग है। आजतक साहित्य के मंच से इन युवा कवियों ने अपनी-अपनी कविताएं पेश की।

'साहित्य आजतक' के अहम सत्र सूफी में पंजाबी लोक गायक हंस राज हंस ने शिरकत कर अपने लोक गीतों से समां बांधा। हंस राज हंस ने अपने गीतों की शुरुआत 'वो कहां कहां न मिले, मेरे मेहरबां' से शुरुआत की।

हंस राज हंस ने कहा कि आज के दौर में सूफी की बेहद जरूरत है। आज जब मजहब मजहब से लड़ रहा है तब सिर्फ सूफी प्यार और शांति का संदेश पहुंचा रहा है।

'साहित्य आज तक' के सत्र कविता, सिनेमा और सेंसर में गीतकार, कवि और पटकथा लेखक प्रसून जोशी ने शिरकत की। प्रसून ने अपनी नई-पुरानी कविताओं को पेश किया। सत्र के दौरान प्रसून ने कहा कि कला के क्षेत्र में अलग-अलग तरह के लोगों को आना चाहिए। प्रसून ने कहा कि गीतों को लिखने में भावनाएं अहम किरदार अदा करती हैं। 

'साहित्य आज तक' की शुरुआत करते हुए इंडिया टुडे ग्रुप की वाइस चेयरपर्सन कली पुरी ने कहा कि इस कार्यक्रम के जरिए आजतक की कोशिश हिंदी साहित्य, संगीत को बढ़ावा देने की है। 

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