सिख गुरूओं के मूल चिंतन को युवा पीढी तक पहुंचाया जाना चाहिए: पीएम मोदी

 प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि देश में सिख गुरूओं की परंपरा अपने आप में संपूर्ण जीवन दर्शन रही है और इसके मूल चिंतन को युवा पीढी तथा दुनिया में सभी लोगों तक पहुंचाया जाना चाहिए;

Update: 2021-04-08 17:12 GMT

नयी दिल्ली ।  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि देश में सिख गुरूओं की परंपरा अपने आप में संपूर्ण जीवन दर्शन रही है और इसके मूल चिंतन को युवा पीढी तथा दुनिया में सभी लोगों तक पहुंचाया जाना चाहिए।

गुरु तेगबहादुर जी का 400वां प्रकाश परब मनाने लिए गठित उच्च स्तरीय समिति की बैठक की गुरूवार को यहां अध्यक्षता करते हुए पीएम मोदी ने कहा , “ गुरु तेगबहादुर जी के चार सौवें प्रकाश परब का ये अवसर एक आध्यात्मिक सौभाग्य भी है, और एक राष्ट्रीय कर्तव्य भी है। गुरुनानक देव जी से लेकर गुरु तेगबहादुर जी और फिर गुरु गोबिन्द सिंह जी तक, हमारी सिख गुरु परंपरा अपने आप में एक सम्पूर्ण जीवन दर्शन रही है। पूरा विश्व अगर जीवन की सार्थकता को समझना चाहे तो हमारे गुरुओं के जीवन को देख बहुत आसानी से समझ सकता है। उनके जीवन में उच्चतम त्याग भी था, तितिक्षा भी थी। उनके जीवन में ज्ञान का प्रकाश भी था, आध्यात्मिक ऊंचाई भी थी। हमारे देश का ये जो मूल चिंतन है, उसको लोगों तक पहुंचाने का ये हमारे लिए बहुत बड़ा अवसर है। ”

India will pay a fitting tribute to the great Sri Guru Tegh Bahadur Ji on his 400th Parkash Purab. https://t.co/vIDO7t8z4P

— Narendra Modi (@narendramodi) April 8, 2021

उन्होंने कहा कि बीती चार शताब्दियों में भारत का कोई भी कालखंड, कोई भी दौर ऐसा नहीं रहा जिसकी कल्पना हम गुरु तेगबहादुर जी के प्रभाव के बिना कर सकते हों! नवम गुरु के तौर पर हम सभी उनसे प्रेरणा पाते हैं। आप सभी उनके जीवन के पड़ावों से परिचित हैं लेकिन देश की नई पीढ़ी को इनके बारे में जानना, उन्हें समझना भी उतना ही जरूरी है।

पीएम मोदी ने कहा , “ तेगबहादुर जी ने कहा है, “ सुखु दुखु दोनो सम करि जानै अउरु मानु अपमाना, अर्थात, सुख-दुःख, मान-अपमान इन सबमें एक जैसा रहते हुये हमें अपना जीवन जीना चाहिए। उन्होंने जीवन के उद्देश्य भी बताए हैं, उसका मार्ग भी दिखाया है। उन्होंने हमें राष्ट्र सेवा के साथ ही जीवसेवा का मार्ग दिखाया है। उन्होंने समानता, समरसता और त्याग का मंत्र हमें दिया है। इन्हीं मंत्रों को खुद जीना, और जन-जन तक पहुंचाना ये हम सबका कर्तव्य है।”

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