गरीब महिलाओं की रसोई की खिदमत से खिल उठा है स्वाद

राजधानी में कुछ युवाओं ने महिलाओं को एकजुट कर उन्हें खानपान सेवाओं से जोड़कर सिर्फ एक रोजगार का साधन दिया है ऐसे लोगों को पेट भर भोजन भी मुहैया करवा रहे हैं जो अपने घर जैसा भोजन की चाह रखते हैं;

Update: 2017-06-16 00:57 GMT

नई दिल्ली। राजधानी में कुछ युवाओं ने महिलाओं को एकजुट कर उन्हें खानपान सेवाओं से जोड़कर सिर्फ एक रोजगार का साधन दिया है ऐसे लोगों को पेट भर भोजन भी मुहैया करवा रहे हैं जो अपने घर जैसा भोजन की चाह रखते हैं।

लगभग चार दर्जन महिलाओं के एक समूह ने अपने संघर्ष से गरीबी को पीछे धकेल कर आत्मविश्वास के साथ आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाया है। ये महिलाएं अपने घरों से बाहर निकलकर खानपान सेवा का व्यापार चलाने के लिए अब न सिर्फ अपने दम पर आगे बढ़ रही हैं इन महिलाओं के पास स्वादिष्ट भोजन बनाने कि कला के इनके ग्राहक भी दिवाने हैं।

एनैक्टस आईजीडीटीयूडब्ल्यू की छात्राओ ने 'सहयोग’के साथ मिलकर इन महिलाओं के लिए एक खिदमत रसोई की शुरूआत की है। रसोई पूरी तरह से महिलाओं द्वारा संचालित है और दिल्ली, एनसीआर के कई इलाकों, कामकाजी दफ्तरों में खानपानी सेवाएं मुहैया करवा रहा है।

मास्टर शेफ इंडिया के मशहूर शेफसदफ हुसैन ने खिदमत द्वारा आयोजित कार्यशाला में इन महिलाओं को बेहतर खाना पकाने का जहां हुनर दिखा वहीं उनके स्वाद की तारीफ भी की। कार्यशाला में गर्मियों के पेय कि विधि के साथ शुरूआत हुई और फिर इसके बाद एक टाको नुस्खा सिखाया गया।

 सत्र के अंत में तिरामिसू नामक मिठाई बनाना सिखाया गया। शेफ ने व्यंजनों को फिर से तैयार किया ताकि वे सरलता से उपलब्ध होने वाली सामग्री से बना सकें। सदफहुसैन ने अपने मास्टर शैफके अनुभव साझा करते हुए बताया कि महिलाएं भाव के साथ खाना पकाती हैं जिससे उसका स्वाद दोगुना हो जाता है।

वर्तमान में रेस्तरांओं में खाने के स्वाद से लेकर खिदमत रसोई पर उन्होंने महिलाओं से हर पहलू पर चर्चा के साथ कहा मसालों के साथ साथ समर्पण और इच्छा से खाने में स्वाद आता है। कार्यशाला में राष्ट्रीय समाचार पत्र देशबन्धु ने अग्रणी भूमिका निभाई और कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार अनिल सागर आमंत्रित अतिथि थे।

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