संसद का बीता बजट सत्र 18 साल में सबसे कम उत्पादक

संसद के बजट सत्र का शुक्रवार को समापन हो गया। करीब एक महीने चला यह बजट सत्र वर्ष 2000 के बाद सबसे कम उत्पादक रहा;

Update: 2018-04-07 00:32 GMT

नई दिल्ली। संसद के बजट सत्र का शुक्रवार को समापन हो गया। करीब एक महीने चला यह बजट सत्र वर्ष 2000 के बाद सबसे कम उत्पादक रहा और पूरे सत्र के दौरान बजट से संबंधित विधेयकों के इतर महज दो कानून पारित हो पाए। लोकसभा की कुल 19 बैठकों में वित्त विधेयक और दो विनियोग विधेयकों के अलावा सिर्फ ग्रेच्युटी भुगतान (संशोधन) विधेयक और विशेष राहत (संशोधन) विधेयक ही पास हुए। 

राज्यसभा की कुल 30 बैठकें हुईं, मगर सिर्फ ग्रेच्युटी भुगतान (संशोधन) विधेयक पास हो पाया। इस विधेयक को भी बिना बहस व चर्चा कराए पारित किया गया। 

एनजीओ पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च के आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2000 के बाद ऐसा पहली बार हुआ जब दोनों सदनों में बजट पर बहस में कोई समय नहीं दिया गया। और सौ फीसदी अनुदान मांग बगैर बहस के ही पारित कर दी गई। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में मौजूदा सरकार के 2014 में सत्ता में आने के बाद पहली बार विपक्ष की ओर से अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया गया मगर लोकसभाध्यक्ष ने उसे स्वीकार नहीं किया। 

लोकसभा में निर्धारित समय का महज 21 फीसदी का उपयोग काम-काज के लिए हो पाया जबकि राज्यसभा के लिए यह आंकड़ा 27 फीसदी रहा। 2014 के बाद लोकसभा के प्रश्नकाल की कार्यवाही सबसे खराब रही। 

लोकसभा में विधायी कार्यो पर महज एक फीसदी उत्पादक समय दिया गया जबकि राज्यसभा में छह फीसदी। साथ ही, 2014 के बाद सार्वजनिक महत्व के मसलों पर सबसे कम चर्चा हुई।

Full View

Tags:    

Similar News