जंगल कटाई से आदिवासियों की आजीविका प्रभावित

 एनटीपीसी संयंत्र के लिए बिछाई जा रही रेल्वे लाईन के लिए हजारों पेंड़ों का काटा गया है इससे बनने पर निर्भर समुदाय की रोजी-रोटी प्रभावित हुई है;

Update: 2018-04-05 11:25 GMT

रायगढ़ ।  एनटीपीसी संयंत्र के लिए बिछाई जा रही रेल्वे लाईन के लिए हजारों पेंड़ों का काटा गया है इससे बनने पर निर्भर समुदाय की रोजी-रोटी प्रभावित हुई है। तेंदूपत्ता के जंगल नष्ट हो गये हैं, महुआ व चिरौंजी के पेड़ सहित अन्य वनोपज समाप्त हो गये है उन्हें सालाना 30.40 हजार रूपयों का नुकसान हुआ है। छत्तीसगढ़ किसान सभा से झंडे तले सैकड़ों किसानों ने आज यहां जिलाधीश कार्यालय पर प्रदर्शन किया और वन भूमि के पट्टे देने तथा आजीविका को हो रहे नुकसान के लिए मुआवजा देने की मांग की। 

उल्लेखनीय है कि सकरबोगा, कुसुमपाली, बनखेता, विश्वनाथपाली, बनोरा, आदि गांवों में एनटीपीसी के लिए के लिए रेल लाईन बिछाई जा रही है। इससे 25 गांवों के लोगों की आजीविका प्रभावित हुई है। किसान सभा नेताओं के अनुसार, सरकार और प्रशासन को पहले वनाधिकारों को स्थापित करना है, इसके बाद ही विकास कार्यो के लिए भूमि का अधिग्रहण किया जा सकता है।

किसान सभा नेताओं ने  लगाया कि वनाधिकार कानून के बनने के 10   बाद भी आदिवासियों को वनभूमि के पट्टे नहीं दिए गए है और रेल के नाम पर उनकी जमीन व रोजी-रोटी छीनी जा रही है। इससे इस क्षेत्र के 5000 परिवारों का जीवन संकट में फंसा हुआ है। वे बेदखल होकर पलायन के लिए बाध्य हो रह है।   

इस ज्वलन मुद्दे पर किसान सभा के राज्य अध्यक्ष संजय पराते, पुखरंजन नंदी, लंबोदर साव, समयलाल यादव, सहोदरा बाई, शांति झा, गोपाल बुलबुली, चंपा, सकिजा, पार्वती, गौरी, बुधियारिन आदि के नेतृत्व में एसडीएम को ज्ञापन दिया गया। उन्होंने इस पर कार्य नहीं का आश्वासन दिया है। प्रदर्शन में प्रदीप सर, शंकुसा, विपांद गुप्ता, दयालू, मंगलू, देवार्चन प्रधान आदि भी शामिल थे। किसान सभा ने इस मुद्द्े पर कानूनी कार्यवाही करने और आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी है।

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