सिक्कों के चलन पर बैंक की मनमानी, जनता भ्रम में!

 नोटबंदी का भयंकर मार झेल चुके आम जनता को अब सिक्कों की बंदी का डर सताने लगी है उनके रखे सिक्के अब बेकार हो न जाएं;

Update: 2017-11-22 13:36 GMT

बलरामपुर।  नोटबंदी का भयंकर मार झेल चुके आम जनता को अब सिक्कों की बंदी का डर सताने लगी है उनके रखे सिक्के अब बेकार हो न जाएं।

लोगों को डर है कि  उनके रखे दसए पांचए दो और एक के सिक्के भी बंद हो जाएंगे। लोगों का कहना है कि ना उनके सिक्के बैंक वाले जमा करते हैं न सब्जी बेचने वाले लेते हैंए न ठेले वालेए न होटल वालेए न मिठाई वालेए न किराने की दुकान वालेए और न ही ऑटो चालक। इस कारण लोगों को डर है कि कहीं सिक्के बंद तो नहीं हो गए। लोगों का कहना है कि न ही सरकार ने कोई फरमान जारी किया हैए और मैं ही बैंकों ने फिर भी हमारे सिक्के बाजार में क्यों नहीं चल रहेघ् बैंक वाले क्यों नहीं ले रहे।

अचानक बाजार में बड़ी मात्रा में सिक्के फैल गए हैंए जिसे डर का माहौल बन गया है कि अचानक इतने सिक्के आए कहां सेघ् और इन सिक्कों को कोई भी लेनदार लेता ही नहीं या लेने से कतराता। सरकार में अब तक इस विषय में किसी भी प्रकार से कोई नोटिस जारी नहीं किया है फिर भी न  सिक्कों को बैंक लेता है न कोई दुकानदार।

यदि सिक्के चलन से बाहर नहीं हुए हैं तोए सरकार उन लोगों के प्रति कोई कठोर कार्यवाही क्यों नहीं करती जो इन सिक्कों को लेने से मना करते हैंघ् उन बैंकों के प्रति कोई कार्यवाहि क्यों नहीं करती जो बैंकिं सिक्कों को खाते में जमा करने से मना कर रहे हैंघ् बैंकों की मनमानी रवैया से एक नई प्रकार की कालाबाजारी का जन्म हो सकता हैए कालाबाजारी यह होगी कि काले कारोबारी कुछ कमीशन के बदले लोगों के सिक्के बदलेंगे। लोगों का कहना है कि जनता बिल लग रही है और दुकानदार और व्यापारी खेल खेलरहे हैं और सरकार हाथों में हाथ दिए मजा ले रही। जनता की मजबूरियों पर किसी का ध्यान नहीं जनता किसके पास जा और किसके पास अपनी गुहार लगाए।

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