जम्मू-कश्मीर में तेजी से बढ़ रही आतंकी गतिविधियां, केंद्र सरकार नाकाम : शेख बशीर

नेशनल कॉन्फ्रेंस के वरिष्ठ नेता शेख बशीर ने केंद्र की भाजपा सरकार पर हमला बोला है;

Update: 2024-07-26 09:41 GMT

जम्मू-कश्मीर। नेशनल कॉन्फ्रेंस के वरिष्ठ नेता शेख बशीर ने केंद्र की भाजपा सरकार पर हमला बोला है।

उन्होंने कहा कि साल 2018 में जम्मू कश्मीर में पीडीपी और भाजपा की सरकार थी। अचानक भाजपा ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया। उसके बाद गर्वनर रूल रहा। गवर्नर रूल के बाद प्रेसिडेंट रूल आया। 5 अगस्त 2019 को गवर्नमेंट ऑफ इंडिया ने आर्टिकल-370 को हटा दिया। आर्टिकल-370 जम्मू-कश्मीर के लिए नुकसानदायक था। 5 साल हो गए। उसके बाद इलेक्शन तो हुआ नहीं, लेकिन लोकसभा चुनाव बताते हैं कि भाजपा का 2014, 2019 की तुलना में ग्राफ घटा है।

उन्होंने कहा कि आतंकवाद से लड़ते हुए 34 साल हो चुके हैं। पिछले दो-तीन महीने में किसके लिए जम्मू के अंदर आतंकी गतिविधि बढ़ी है। भाजपा कहती है कि उस समय इतने पत्थरबाज थे, आज इतने पत्थरबाज हैं। मैं मानता हूं कि यह कोई जवाब नहीं है। बात यह होनी चाहिए की आर्टिकल-370 हटाने के बाद जम्मू कश्मीर के बेरोजगार नौजवान, जो मिडिल क्लास हैं, उनकी समस्या को हल करने के लिए कोई फार्मूला क्यों नहीं निकला? भाजपा को झूठ बोलने पर मेडल मिलना चाहिए।

दरअसल, बुधवार को केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने जम्मू-कश्मीर को लेकर कहा कि आर्टिकल-370 के निरस्त होने के बाद केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में कानून व्यवस्था में उल्लेखनीय सुधार देखा गया है। आर्टिकल-370 के निरस्त होने के बाद जम्मू कश्मीर में संगठित पथराव शून्य है। आर्टिकल-370 को हटाने के बाद जम्मू कश्मीर के लोगों के लिए संभावनाओं के द्वार खुल चुके हैं।

उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में सक्रिय आतंकवादी या तो जेल जाएंगे या फिर जहन्नुम भेजे जाएंगे। अब आतंकवादी अपने मंसूबों में सफल नहीं होंगे। मोदी सरकार आतंकवाद को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेगी। जम्मू-कश्मीर में लोग अब शांतिपूर्ण माहौल में रह रहे हैं और उन्हें सुरक्षा की पूरी गारंटी है।

नित्यानंद राय ने राज्यसभा में बताया कि 2004 से 2014 के बीच जब केंद्र में यूपीए की सरकार थी, तब जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की 7,217 घटनाएं हुई थी। 2014 में भाजपा सत्ता में आई और इस साल 21 जुलाई को यह संख्या घटकर 2,259 रह गई। 2004 से 2014 के बीच 2,829 नागरिकों और सुरक्षाकर्मियों की जान गई। 2014 के बाद से इस संख्या में 67 प्रतिशत की कमी आई है। इसके अलावा आतंकी घटनाओं में भी 69 प्रतिशत की कमी आई है।

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