राजधानी में लौटा मच्छरों का आतंक
गर्मी की शुरुआत में ही डेंगू और चिकनगुनिया के बढ़ते मामलों के चलते इस साल राजधानी में मच्छरों का आतंक कहर बरपा सकता है;
नई दिल्ली। गर्मी की शुरुआत में ही डेंगू और चिकनगुनिया के बढ़ते मामलों के चलते इस साल राजधानी में मच्छरों का आतंक कहर बरपा सकता है। मच्छरजनित बीमारियों की दस्तक आने के बावजूद न तो मच्छरों के लार्वा पर सर्जिकल स्ट्राइक गई है और न ही कोई चेतावनी जारी की गई है। उक्त बाते इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने बुधवार को कहीं। इसके साथ ही निगम से मांग की गई है कि जिस पिनकोड एरिया में डेंगू-चिकनगुनिया जैसी बीमारियों सामने आती हैं तो उस इलाके में कार्यरत डॉक्टरों को एक एसएमएस के जरिये सूचित किया जाना चाहिए ताकि वे सरकारी जनस्वास्थ्य अभियान के तहत किए जा रहे प्रयासों का एक हिस्सा बन सकें।
आईएमए ने दिल्ली में मच्छरों का आतंक दोबारा से उत्पन्न होने के पीछे दिल्ली नगर निगम, दिल्ली सरकार, केंद्र सरकार, उपराज्यपाल कार्यालय, मेडिकल एसोसिएशंस, मीडिया, एनजीओ और निजी क्षेत्र की विफलता को भी जिम्मेदार ठहराया है। आईएमए के मुताबिक डेंगू के लिए जिम्मेदार एडीज एजिप्टी मच्छर घरों के अन्दर पैदा होता है। यह 200 मीटर तक उड़ सकता है और सिर्फ इंसानी खून चूसता है। जबकि एडीज एल्बोपिक्टस मच्छर खुले में पनपता है। ये ज्यादा से ज्यादा 80 मीटर तक उड़ सकता है और इंसान के साथ जानवरों का खून भी पीता है।
हालांकि मच्छरों से बचाव के लिए पिछले वर्ष राजधानी में तीन लाख मच्छरदानियां बांटी गई थी जो ज्यादातर वास्तविक मरीजों तक नहीं पहुंच सकी थी, लेकिन इस साल मच्छरों से निपटने के लिए क्या योजना बनाई गई है इसका भी कोई अता-पता नहीं है। यहां तक कि इस साल, मच्छररोधी उपायों में शामिल टेमीफोस दवा और मच्छर के लार्वा खाने वाली गंबूजिया मछली भी आम लोगों के लिए उपलब्ध नहीं है। इसके अलावा मच्छरों के खात्मे को लेकर लोगों में जागरूकता लाई जाएगी। इसके लिए आईएमए ने एक मुहिम शुरू की है जिसके तहत किसी स्थान पर जाने से पहले संबंधित व्यक्ति से पूछा जाएगा कि आपके यहां मच्छर तो नहीं है आप, मच्छरों से कटवाएंगे तो नहीं।