करूर त्रासदी पर पलानीस्वामी का हमला : डीएमके सरकार की लापरवाही से गई 41 जानें
एआईएडीएमके महासचिव और तमिलनाडु विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष एडप्पादी के. पलानीस्वामी ने करूर त्रासदी में 41 निर्दोष लोगों की जान जाने के लिए डीएमके सरकार को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया और आरोप लगाया कि घोर लापरवाही व उचित सुरक्षा के अभाव के कारण यह भयावह घटना हुई;
करूर त्रासदी पर पलानीस्वामी का हमला : डीएमके सरकार की लापरवाही से गई 41 जानें
- एआईएडीएमके का आरोप: करूर हादसे के लिए डीएमके सरकार जिम्मेदार
- पलानीस्वामी का तीखा वार: 'करूर की मौतें प्रशासनिक विफलता का नतीजा'
- करूर हादसे पर सियासी घमासान, पलानीस्वामी ने उठाए जांच पर सवाल
चेन्नई। एआईएडीएमके महासचिव और तमिलनाडु विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष एडप्पादी के. पलानीस्वामी ने करूर त्रासदी में 41 निर्दोष लोगों की जान जाने के लिए डीएमके सरकार को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया और आरोप लगाया कि घोर लापरवाही व उचित सुरक्षा के अभाव के कारण यह भयावह घटना हुई।
तमिलनाडु विधानसभा से वॉकआउट करने के बाद मीडिया से बात करते हुए पलानीस्वामी ने कहा कि एआईएडीएमके ने नियम-56 के तहत करूर का मुद्दा उठाया था, लेकिन मुख्यमंत्री एमके स्टालिन स्पष्ट या संतोषजनक स्पष्टीकरण देने में विफल रहे।
पलानीस्वामी ने कहा, "हमने करूर घटना पर स्थगन प्रस्ताव पेश किया। मुख्य विपक्ष को पहले अपना पक्ष रखने की अनुमति देने के बजाय अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री को बोलने की अनुमति दी। हमने फिर भी आसन का सम्मान किया और उनकी बात सुनी, लेकिन उनके बयान में तथ्यों और जवाबदेही का अभाव था।"
उन्होंने कहा कि अगर स्टालिन के नेतृत्व वाली सरकार ने उचित पुलिस तैनाती और भीड़ प्रबंधन सुनिश्चित किया होता, तो इस त्रासदी को रोका जा सकता था। विजय पहले भी चार जिलों में सभाएं कर चुके हैं। पुलिस और खुफिया विभाग को भीड़ की संख्या का पता था। फिर भी, उन्होंने वेलुचामिपुरम में एक जनसभा की अनुमति दी, जिसे पहले ही असुरक्षित माना जा चुका था। वही जगह, जहां संकरी सड़कों का हवाला देकर एआईएडीएमके को भी इजाजत देने से इनकार कर दिया गया था, बाद में टीवीके को अनुमति दे दी गई। यह जानबूझकर और लापरवाही भरा रवैया दर्शाता है।"
पलानीस्वामी ने कहा कि सरकार जांच को दिखावटी बनाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा, "सरकार ने जल्दबाजी में आयोग की घोषणा की। सभी शव-परीक्षणों की जांच जल्दी-जल्दी की। करूर के सरकारी अस्पताल में पोस्टमार्टम प्रक्रिया के लिए सिर्फ दो टेबल होने की बात कही गई थी। अगर तीन टेबल भी थीं, तो इतनी जल्दी में 39 पोस्टमार्टम कैसे पूरे हो गए, जबकि हर प्रक्रिया में कम से कम डेढ़ घंटा लगता है? इससे सरकार की मंशा पर गंभीर संदेह पैदा होता है। यह सब सच छिपाने का नाटक है।"
वरिष्ठ अधिकारियों के विरोधाभासी बयानों पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा, "डीजीपी, एडीजीपी और अन्य अधिकारी फील्ड जांच करने के बजाय सचिवालय से इंटरव्यू दे रहे हैं। वे कहते हैं कि 500 पुलिसकर्मी तैनात थे, लेकिन मुख्यमंत्री कहते हैं कि 606। ये विरोधाभास क्यों? इतनी लीपापोती क्यों?"
पलानीस्वामी ने डीएमके सरकार पर जांच से बचने और जांच को बाधित करने का भी आरोप लगाया।
उन्होंने कहा, "यह सरकार कल्लाकुरिची छात्र की मौत, आर्मस्ट्रांग हत्याकांड, किडनी प्रत्यारोपण घोटाले और यहां तक कि अन्ना नगर बलात्कार मामले की जांच रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट गई। वे सच्चाई से डरते हैं।"
पलानीस्वामी ने दोहराया कि करूर त्रासदी प्रशासनिक विफलता और दूरदर्शिता की कमी का परिणाम थी। उन्होंने कहा, "41 निर्दोष लोगों की मौत के लिए डीएमके सरकार पूरी तरह जिम्मेदार है। उनकी लापरवाही और अहंकार के कारण तमिल लोगों की जान गई है। जनता सच्चाई और न्याय की हकदार है।"