भारत लाया गया तहव्वुर राणा, मुंबई हमलों के आरोपी को मिलेगी कठोर सज़ा

भारत का आरोपी, 2008 के मुंबई आतंकी हमलों की साज़िश में शामिल तहव्वुर राणा आखिरकार एनआईए के हाथ लग गया है।आतंकी तहव्वुर राणा को गल्फस्ट्रीम G550 विमान से एनआईए टीम भारत लेकर आई;

Update: 2025-04-10 18:38 GMT

नई दिल्ली। भारत में 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमलों के आरोपी तहव्वुर राणा को आखिरकार भारत की गिरफ्त में आ ही गया। 16 साल बाद तहव्वुर राणा की गिरफ्तारी संभव हो पाई। इससे पहले तहव्वुर अमेरिका की जेल में था। जहां से उसे प्रत्यर्पण की कर्रवाई के जरिए भारत लाया गया। आतंकी तहव्वुर राणा को गल्फस्ट्रीम G550 विमान से  एनआईए टीम भारत लेकर आई। एयरपोर्ट पहुँचते ही राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण यानी एनआईए ने उसे गिरफ्तार कर लिया।

भारत का आरोपी, 2008 के मुंबई आतंकी हमलों की साज़िश में शामिल तहव्वुर राणा आखिरकार एनआईए के हाथ लग गया है। एक लम्बी कानूनी लड़ाई के बाद तहव्वुर राणा का अमेरिका से भारत प्रत्यर्पण सफल रहा। दिल्ली के पालम टेक्निकल एयरपोर्ट पर उसे अमेरिका से भारत लाने वाले स्पेशल प्लेन की लैंडिंग हुई, जिसमे जांच एजेंसी एनआईए और खुफिया एजेंसी रॉ की एक जॉइंट टीम भी मौजूद थी। एनआईए ने उसे एयरपोर्ट पर ही गिरफ्तार कर लिया। जहां से उसे सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम के साथ एनआईए हेडक्वार्टर ले जाया गया।

प्राप्त जानकारी के मुताबिक, राणा को दिल्ली की तिहाड़ जेल में हाई सिक्योरिटी वार्ड में रखा जाएगा। जेल प्रशासन ने इसके लिए जरूरी इंतजाम भी कर लिए हैं। कनाडा की नागरिकता रखने वाले तहव्वुर राणा को 2009 में संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआई) ने गिरफ्तार किया था। उसे अमेरिका में लश्कर-ए-तैयबा का समर्थन करने के लिए दोषी ठहराया गया था और अब तक वह लॉस एंजिलिस के एक डिटेंशन सेंटर में बंद था। तहव्वुर राणा ने कई कोशिशें की थी इस प्रत्यर्पण से बचने के लिए, खुद को पार्किंसन बीमारी से पीड़ित बताते हुए अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, और दवा किया था कि अगर भारत डिपोर्ट किया गया तो उसे प्रताड़ित किया जा सकता है।

हालांकि अब जब वो भारत आ गया है तो उसे मेडिकल टेस्ट, कोर्ट में पेशी, और पूछताछ की प्रक्रिया से गुज़रना होगा। भारत की जनता उसे कठोर से कठोर सजा देने की मांग कर रही है। आपको बता दें कि 26 नवंबर 2008 को मुंबई में लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने हमले किए। चार दिनों तक चले इन हमलों में कुल 175 लोगों की जान चली गई, जिनमें 9 हमलावर भी शामिल थे और 300 से ज़्यादा लोग घायल हुए थे। भारत के इतिहास में ये घटना काफी हृदयविदारक है।

 

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