सुप्रीम कोर्ट ने कार्ति चिदम्बरम को राहत के लिए दिल्ली हाईकोर्ट जाने की दी सलाह

उच्चतम न्यायालय ने पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदम्बरम के पुत्र कार्ति चिदम्बरम को कालेधन को वैध बनाने (मनी लांड्रिंग) के एक मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के समन आदेश के खिलाफ राहत के लिए दिल्ली;

Update: 2018-03-08 15:40 GMT

नयी दिल्ली।  उच्चतम न्यायालय ने पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदम्बरम के पुत्र कार्ति चिदम्बरम को कालेधन को वैध बनाने (मनी लांड्रिंग) के एक मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के समन आदेश के खिलाफ राहत के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय जाने को कहा है।

Supreme Court asked #KartiChidambaram to approach Delhi High Court for relief. #INXMediaCase

— ANI (@ANI) March 8, 2018


 

कार्ति ने आईएनएक्स मीडिया में निवेश से जुड़े मामले में ईडी के समन आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था।

मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने आज कार्ति की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलें सुनने के बाद याचिकाकर्ता को राहत के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय जाने को कहा। इसके बाद कार्ति ने अपनी याचिका वापस ले ली।

शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय से आग्रह किया कि वह कार्ति की याचिका की सुनवाई के लिए शुक्रवार या शनिवार को उचित पीठ का गठन करे।

Supreme Court also requested the Delhi High Court to set up appropriate bench to adjudicate the #KartiChidambaram matter tomorrow or day after tomorrow.

— ANI (@ANI) March 8, 2018


 

इससे पहले सुनवाई के दौरान  मेहता और सिब्बल में काफी तीखी जिरह हुई।

सिब्बल ने  मेहता पर मुख्य न्यायाधीश की पीठ को मर्जी का आदेश लिखने की सलाह देने का आरोप लगाया, जिसका एएसजी ने पुरजोर विरोध किया। मेहता ने कहा कि वरिष्ठ अधिवक्ता एवं पूर्व कानून मंत्री का यह आरोप अनुचित है। इस पर न्यायमूर्ति मिश्रा ने संज्ञान लेते हुए कहा, “हम अपनी जिम्मेदारियां खुद जानते हैं। ”

कार्ति पिछले 28 मार्च से सीबीआई की हिरासत में हैं। कार्ति पर आरोप है कि आईएनएक्स मीडिया में 350 करोड़ रुपये के विदेशी निवेश के लिए विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की मंजूरी दिलाने की एवज में उन्होंने घूस ली थी। उस वक्त  पी चिदम्बरम केंद्रीय वित्त मंत्री थे।

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