अमरावती दौरे के दौरान चंद्रबाबू के काफिले पर पथराव

आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एन.चंद्रबाबू नायडू के आज अमरावती दौरे के दौरान उनके काफिले पर पथराव किया गया;

Update: 2019-11-28 17:50 GMT

अमरावती। आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एन.चंद्रबाबू नायडू के आज अमरावती दौरे के दौरान उनके काफिले पर पथराव किया गया। नायडू वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के सत्ता में आने के छह महीने बाद राजधानी के विकास कार्यो के रुके होने के मद्देनजर यह दौरा कर रहे हैं। रायपुडी के पास सीड एक्सेस रोड पर तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) प्रमुख के काफिले पर एक प्रदर्शनकारी समूह द्वारा उनके दौरे का विरोध किए जाने से तनाव पैदा हो गया है।

प्रदर्शनकारियों ने उस बस पर पथराव किया, जिसमें नायडू व पार्टी के अन्य नेता यात्रा कर रहे थे। प्रदर्शनकारी काले झंडे व 'नायडू गो बैक' के नारे लगा रहे थे। पथराव से किसी के घायल होने की सूचना नहीं है।

नायडू के साथ के नेताओं व कार्यकर्ताओं ने अपने प्रमुख के समर्थन में नारे लगाकर विरोधियों को जवाब दिया। किसी भी अवांछित घटना को रोकने के लिए इलाके में अतिरिक्त पुलिस बल को तैनात किया गया है।

तेदेपा नेताओं ने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ दल के कार्यकर्ताओं ने पथराव किया। हालांकि, वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) ने आरोपों का खंडन किया और कहा कि किसानों का एक वर्ग अपने अधिकृत जमीन के बाकाया मुआवजे को लेकर नायडू की यात्रा का विरोध कर रहा है।

तेदेपा सुप्रीमो ने अपनी यात्रा प्रजा वेदिका से शुरू की। प्रजा वेदिका एक सभागार है, जो उनके घर से लगा हुआ था। वाईएसआरसीपी ने सत्ता में आने के बाद इसे ध्वस्त करावा दिया।

वाई.एस.जगन मोहन रेड्डी की अगुवाई वाले वाईएसआरसीपी के सत्ता में आने के बाद यह नायडू की पहली अमरावती यात्रा है।

तेदेपा नेता उड्डनडरायुनिपलेम की यात्रा करेंगे, जहां राज्य की राजधानी के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 22 अक्टूबर, 2015 को आधारशिला रखी गई थी। अपने दिनभर के दौरे के दौरान वह किसानों से मिलेंगे, जिन्होंने अपनी जमीन राज्य के राजधानी के लिए दी और वह तेदेपा शासन के दौरान शुरू किए गए कार्यो को भी देखेंगे।

नायडू का अमरावती दौरा सत्तापक्ष व विपक्ष के अरोप-प्रत्यारोप के बीच हो रहा है। नायडू ने आरोप लगाया कि जगन मोहन रेड्डी सभी कार्यो को रोककर 'अमरावती की हत्या' कर रहे हैं।

वहीं, वाईएसआरसीपी ने कहा कि तेदेपा प्रमुख को अमरावती की यात्रा करने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है, क्योंकि वह पांच साल में सिर्फ पांच फीसदी कार्य पूरा कर सके और कार्यो में कई तरह की अनियमितता की गई।

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