श्री श्री राधा रमण मंदिर का भूमि पूजन समारोह

गुरुग्राम में एक भव्य एवं सुंदर मंदिर निर्माण हेतु वृंदावन चंद्रोदय मंदिर की योजनाएं हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण द्वारा अनुमोदित की गईं;

Update: 2018-04-09 15:48 GMT

गुरुग्राम।  गुरुग्राम में एक भव्य एवं सुंदर मंदिर निर्माण हेतु वृंदावन चंद्रोदय मंदिर की योजनाएं हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण द्वारा अनुमोदित की गईं। इसी परिप्रेक्ष्य में वृंदावन चंद्रोदय मंदिर के भक्तों ने गुरुग्राम में श्री श्री राधा रमण मंदिर के निर्माण की योजना बनाई है।

पहले चरण के रूप में मंदिर का भूमि पूजन समारोह आयोजित किया जाएगा। भूमि पूजन रविवार, 29 अप्रैल को आयोजित किया जाएगा जो कि भगवान नरसिम्हदेव  के आविर्भाव दिवस, नर नसिंह जयंती का भी शुभअवसर है। भूमि पूजनका आयोजन गुरुग्राम में उसीस्थान पर किया जाएगा जहां पर श्री श्री राधा रमण मंदिर का निर्माण प्रस्तावित है।

भूमि पूजन के अवसर पर हरियाणा के माननीय राज्यपाल, गुरुग्राम के माननीय महापौर और प्रतिष्ठित सांसद और विधायक उपस्थित होकर आयोजन की शोभा बढ़ाएंगे। इस मंदिर में श्री श्री राधा रमणजी के मूर्तियों को स्थापित किया जाएगा। यह गुरुग्राम में सबसे ऊंचा मंदिर होगा जो कि कुल 108 फुट लंबा होगा। यह मंदिर वृंदावन में निर्माणाधीन वृंदावन चंद्रोदय मंदिर का ही एक परियोजना है जो निर्माणोंपरांत के बाद दुनिया का सबसे ऊंचा गगन चुम्बी मंदिर होगा। इस सुंदर मंदिर का निर्माण लगभग आधा एकड़ के क्षेत्र में किया जाएगा। मंदिर का निर्माण 2 साल में पूरा होने की उम्मीद है।

भूमि पूजन के सन्दर्भ में वैदिक ग्रंथ मनुष्य को भूमि या धरती को एक मां के रूप में स्वीकार करने के लिए बताते है क्योंकि वह अपने  भीतर सभी के जीवन का पोषण करती है। वह धैर्य व्यक्तित्व है।

जब हम एक इमारत खड़ीकरना चाहते हैं या कृषि के लिए भूमिमें हल चलाते है, तब हम पृथ्वी मां के स्वरुप को ही बदलते हैं। इसलिए वैदिक धर्मग्रंथों का कहना है कि हम इन कृत्यों के लिए उसकी स्वीकृति का अनुरोध करते हैं और अपने इन कार्यों के लिए उससे माफी भी मांगते हैं जो कि उसके संतुलन बनाये रखने में विघ्न उत्पन्न करते हैं। निर्माण क्षेत्र में रहने वाले विभिन्न ऊर्जाओं को शांत करने के लिए वेदों में विशेष सूत्रों और स्तोत्र का प्रावधान हैं।

ये वैदिक स्तोत्रबुरे प्रभावों को दूर करने तथा  शांति और समृद्धि लाने के लिए उच्चारित किए जाते हैं। इसे ही भूमि पूजन कहा जाता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार किसी भी निर्माण कार्य से पहले भूमि पूजन करना अनिवार्य होता है।

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