मप्र में विपक्ष की गैरहाजिरी में चुना गया विधानसभा अध्यक्ष

मध्य प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष विपक्ष की गैरहाजिरी के बीच मंगलवार को कांग्रेस विधायक एऩ पी़ प्रजापति को चुन लिया गया;

Update: 2019-01-08 23:01 GMT

भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष विपक्ष की गैरहाजिरी के बीच मंगलवार को कांग्रेस विधायक एऩ पी़ प्रजापति को चुन लिया गया। विाानसभा अध्यक्ष के चुनाव को लेकर सदन में भारी हंगामा हुआ और सदन की कार्यवाही को दो बार स्थगित किया गया। भाजपा ने निर्वाचन के लिए अपनाई गई प्रक्रिया को लोकतंत्र की हत्या करार दिया है, वहीं कांग्रेस इसे भाजपा की हताशा बता रही है। विधानसभा की कार्यवाही दो बार स्थगित होने के बाद तीसरी बार कार्यवाही शुरू होने पर भाजपा विधायक चुनाव प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए सदन से बहिर्गमन कर गए। उसके बाद प्रोटेम स्पीकर दीपक सक्सेना ने वनिमत से सदस्यों की राय ली। सदन में मौजूद सदस्यों ने वनिमत से प्रजापति का समर्थन किया। इस बीच, बसपा विाायक संजीव सिह कुशवाहा ने मत विभाजन की मांग की, जिस पर मतदान हुआ।

सूत्रों का कहना है कि प्रोटेम स्पीकर दीपक सक्सेना के अतिरिक्त सदन में मौजूद 120 सदस्यों ने प्रजापित के समर्थन में मतदान किया। मतदान के बाद प्रजापति को अयक्ष चुना गया। विधानसभा में विपक्ष की गैरहाजिरी के बीच प्रजापति को अयक्ष चुना गया। 

मुख्यमंत्री कमलनाथ ने प्रजापति के निर्वाचन के बाद कहा कि उन्हें उम्मीद है कि प्रदेश के हर वर्ग की आकांक्षाओं को पूरा किया जा सकेगा।

पूर्व संसदीय कार्यमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा का कहना है कि आज की कार्यसूची में पांच प्रस्ताव थे, चार प्रस्ताव प्रजापति के थे और पांचवां प्रस्ताव शाह का था, मगर पांचवें प्रस्ताव को पढ़ने ही नहीं दिया गया। 

भाजपा के विधायकों ने निर्वाचन प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए सदन से राजभवन तक पैदल मार्च किया और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को ज्ञापन सौंपते हुए कांग्रेस पर 'लोकतंत्र की हत्या' का आरोप लगाया। वहीं भाजपा विधायक राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान भी गैरहाजिर रहे। 

विपक्ष का आरोप है कि भाजपा की ओर से अध्यक्ष के उम्मीदवार के तौर पर विजय शाह ने पर्चा भी भरा था। कार्यसूची में शाह के प्रस्ताव का जिक्र भी था, मगर प्रोटेम स्पीकर ने सिर्फ चार प्रस्ताव को प्रस्तुत करने की अनुमति दी। ये चारों प्रस्ताव प्रजापति के थे। प्रोटेम स्पीकर ने पहले इन प्रस्तावों के निराकरण की बात कही, जिसका भाजपा ने विरोध किया। भाजपा ने कार्यसूची का हवाला देते हुए उनका प्रस्ताव भी स्वीकार करने की मांग की। जब प्रस्ताव नहीं स्वीकार गया तो भाजपा विधायकों ने हंगामा किया। 

इससे पहले विाानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही दो भाजपा विधायक यशाध्ेारा राजे सिधिया और मालिनी गौड़ ने शपथ ली।

इसके बाद कांग्रेस की ओर से विधायक व मंत्री डा़ॅ गोविद सिह ने अयक्ष पद के लिए एऩ पी़ प्रजापति के नाम का प्रस्ताव किया, जिसका आरिफ अकील, विक्रम सिह 'नाती राजा' सहित अन्य विधायकों ने समर्थन किया।

भाजपा की ओर से नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने भाजपा के उम्मीदवार विजय शाह के नाम का प्रस्ताव ही नहीं लिए जाने पर आपत्ति दर्ज कराई। भाजपा की मांग थी कि प्रजापति के प्रस्ताव के साथ शाह के प्रस्ताव को भी शामिल किया जाए। 

भार्गव का दावा था कि कार्यसूची में शाह का प्रस्ताव रखने का जिक्र था, मगर उस पर अमल नहीं हुआ। प्रोटेम स्पीकर ने पहले आए प्रस्ताव (प्रजापित के प्रस्ताव) पर चर्चा कर आगे बढ़ने की बात कही, इस पर विपक्ष ने हंगामा कर दिया। सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित कर दी गई। कार्यवाही दोबारा शुरू होते ही फिर हंगामा हो गया और कार्यवाही को फिर 10 मिनट के लिए स्थगित करना पड़ा।

पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिह चौहान ने विाानसभा में अपनाई गई प्रक्रिया को लोकतंत्र की हत्या करार दिया और भाजपा विधायकों ने सदन से बहिर्गमन कर दिया।

राज्य विधानसभा के 230 सदस्यों में 114 कांग्रेस और 109 भाजपा के हैं। कांग्रेस को बसपा के दो, सपा के एक और चार निर्दलीय विधायकों का समर्थन हासिल है।

भाजपा के कई विाायकों ने गुप्त मतदान की मांग की, लेकिन ससंदीय कार्यमंत्री डॉ़ गोविद सिह ने नियमों का हवाला देते हुए कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने खुले मतदान का फैसला सुनाया है, ताकि खरीद-फरोख्त को रोका जा सके और उसी आधार पर खुला मतदान होगा।

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