शान ने बताई शान से जीने की राह

लोकप्रिय गायक शान यानी शांतनु मुखर्जी ने एक से बढ़कर एक गीत गाए हैं;

Update: 2023-04-27 06:27 GMT

- सर्वमित्रा सुरजन

शान राजनेता नहीं है, उनकी राजनैतिक विचारधारा क्या है, यह भी पता नहीं। लेकिन वे एक सच्चे हिंदुस्तानी हैं और इस देश की सभ्यता और संस्कृति को अच्छे से पहचानते हैं, यह उनके इस वीडियो को देखकर समझ आ रहा है। बिना किसी उग्रता के उन्होंने अपनी बात मजबूती से रखी कि उनका यकीन इस देश की उदारवादी परंपरा में है, वे अपनी सोच पर कायम हैं।

लोकप्रिय गायक शान यानी शांतनु मुखर्जी ने एक से बढ़कर एक गीत गाए हैं। उनके गाने तो हिट हुए ही हैं, शान की व्यक्तिगत छवि भी काफी अच्छी है। फिल्म इंडस्ट्री के बहुत से दिग्गज कलाकार कई किस्मों के विवादों में पड़ते रहते हैं। लेकिन शान को लेकर कभी कोई बड़ा विवाद खड़ा हुआ हो, याद नहीं पड़ता। अपने मुस्कुराते चेहरे के साथ मधुर गीतों की सौगात और प्यार वे कम से कम 3 दशकों से बांटते आ रहे हैं। 22 तारीख को ईद के मौके पर भी उन्होंने मुबारकबाद देते हुए त्योहार की खुशियां बांटना चाहीं। लेकिन त्योहारों को धर्म के खांचे में बांटने वाले लोग इन खुशियों को बर्दाश्त नहीं कर सके। इंस्टाग्राम पर जालीदार टोपी और दुआ के लिए उठे हाथ वाली अपनी फोटो के साथ शान ने ईद की शुभकामनाएं दीं। इस पोस्ट के बाद उनकी आलोचना होने लगी। लोगों ने उन्हें ट्रोल करते हुए कई तरह के कमेंट किए, जैसे कि वे हिंदू हैं और उन्हें ऐसा करने की जरूरत नहीं है। शान ने कमेंट करने वाला विकल्प बाद में बंद कर दिया, लेकिन उससे पहले ट्रोलर्स को जवाब भी लिखा कि, 'आज ईद है' मैंने एक वीडियो किया था, तीन साल पहले, उसमें यह लुक था। तो सोचा कि यह इस मौके के साथ जाता है' बस इतनी सी बात थी। अब आप सबके रिएक्शन देखकर मैं हैरान हूं। मैं हिंदू हूं, ब्राह्मण हूं, बचपन से यही सिखाया गया कि एक दूसरे के त्योहार को मनाना, हर कौम की इज़्ज़त करना, यही मेरी सोच है और यही सोच हर हिंदुस्तानी को रखनी चाहिए। बाक़ी आपकी सोच आपको मुबारक।'

नपे-तुले शब्दों में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित गायक शान ने धर्म, इंसानियत और हिंदुस्तानी होने का अर्थ समझा दिया। इसके बाद शनिवार को उन्होंने एक छह मिनट का वीडियो पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने कहा- 'बहुत से ऐसे कमेंट्स आए कि तुम हिंदू हो, तुम्हें ऐसा करने की क्या जरूरत है। मुझे याद है कि मैं कुछ महीने पहले स्वर्ण मंदिर गया था। वहां सिर ढंकना होता है। मैंने वहां भी फोटो लिया। लेकिन तब इस तरह का रिएक्शन नहीं आया' कि हिंदू होते हुए आपने सिखों की तरह फोटो क्यों लिया है। जैसे रामनवमी या हमारे जो भी हिंदू त्योहार होते हैं, तो उसमें थोड़े पारंपरिक भारतीय कपड़े पहनकर हम नमन करते हुए फोटो डालते हैं ताकि उसकी एक फील आए. बस इतनी सी बात थी।' शान आगे कहते हैं कि इतनी सी बात पर लाइव आकर सफाई देने की जरूरत तो नहीं थी, लेकिन बात इससे आगे की है।

किसी के वस्त्र को, अगर हम धारण करते हैं, उनको इज़्ज़त देते हुए, उस अवसर को, तो उसमें ऐसी कौन-सी बात है कि आपका धर्म बिगड़ जाएगा? मैं चाहता हूं कि इस तरह से जो लोग सोचते हैं, वो इसे थोड़ा बदलें। आज ईद है, आज परशुराम जी की जयंती भी है, आज अक्षय तृतीया है। इन सारे त्योहारों को हम एक साथ मना रहे हैं।'

मैंने एक वीडियो किया था आज से तीन साल पहले, 'करम कर दे' गाना काफी अच्छा चला. वहां ऐसा लुक था जहां मैंने टोपी पहनी है और नमाज़ पढ़ रहा हूं। उसका फ्रीज़ फ्रेम कर के मैंने सबको ईद विश किया। हम एक प्रगतिशील देश के हैं, दुनियाभर में भारतीयों को सम्मान मिल रहा है, हमारी सोच के लिए' कई क्षेत्रों में, लेकिन अगर हम में इतनी सी भी इज्जत और सहिष्णुता न हो तो हम कैसे आगे बढ़ेंगे? मतलब हम पीछे जा रहे हैं! तो मैं तो चाहता हूं कि जो भी इस तरह की सोच रख रहे हैं, वो थोड़ा सोचें इस बारे में कि ऐसा हो क्यों रहा है मुझे? मैं ऐसा क्यों कर रहा हूं?

इस भेड़चाल में कैसे आ रहा हूं?' वीडियो में अपनी परवारिश के बारे में बताते हुए शान कहते हैं कि बांद्रा में वे जहां पले-बढ़े, वो ईसाई और मुस्लिम बहुल इलाका था और उनके ज्यादातर दोस्त मुस्लिम हैं और उन्हें कभी ऐसा नहीं लगा कि वे अलग हैं। वे कहते हैं, 'तो अब जब ये सब देख रहा हूं, इतने साल बाद तो मुझे बुरा लग रहा है। और ऐसी सोच बढ़ती ही जा रही है। इस तरह की सोच जो रख रहे हैं, उनकी सोच तो मैं बदल नहीं सकता। लेकिन मैं अपनी सोच जरूर सामने रखना चाहता हूं। और मैं खुद को बदलना नहीं चाहूंगा क्योंकि मुझे पता है कि मेरी सोच सही है।

हर किसी का सम्मान, आदर करना, हर त्योहार को मिलकर मनाना, यही भारतीय होने की सही पहचान है।' बात ख़त्म करते हुए शान कहते हैं कि सब प्यार मोहब्बत से रहें, खुश रहें, इस तरह की ध्रुवीकृत सोच न रखें क्योंकि इससे सिर्फ नुकसान हो सकता है। आप किसी भी देश को देखिए, जो धर्म के आधार पर चला है, वो आगे नहीं बढ़ा है। हिंदुस्तान दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, हमें अपनी सोच बदलनी, और अधिक समावेशी होना चाहिए और केवल एक बेहतर देश नहीं, खूबसूरत दुनिया बनाने के बारे में सोचना चाहिए।

शान राजनेता नहीं है, उनकी राजनैतिक विचारधारा क्या है, यह भी पता नहीं। लेकिन वे एक सच्चे हिंदुस्तानी हैं और इस देश की सभ्यता और संस्कृति को अच्छे से पहचानते हैं, यह उनके इस वीडियो को देखकर समझ आ रहा है। बिना किसी उग्रता के उन्होंने अपनी बात मजबूती से रखी कि उनका यकीन इस देश की उदारवादी परंपरा में है, वे अपनी सोच पर कायम हैं। जो लोग बंटवारे की राजनीति के प्रभाव या कपड़ों से पहचान करने वाले बहकावे में आ जाते हैं, उन्हें शान ने सलीके से नसीहत दी है कि धर्म के आधार पर देश आगे नहीं बढ़ सकता और हमारी सोच अधिक समावेशी होनी चाहिए। एक मुस्कुराते चेहरे के पीछे उतना ही सुंदर दिल भी है, यह शान ने बता दिया। शान की तरह पूर्व केन्द्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने भी ईद की मुबारकबाद देते हुए लिखा था कि मेरा जन्म तुर्कमान गेट के फाटक तेलियान में हुआ था और मैं अपने मुस्लिम पड़ोसियों की गोद में पला-बढ़ा हूं। मैंने पैगंबर साहब की शिक्षाओं के अनुसार अपना जीवन व्यतीत करने वाले लोगों को बेहद करीब से देखा है।

ईदुलफितर पर आप सभी के स्नेह और आशीर्वाद से अभिभूत हूं। ट्रोलर्स ने भाजपा नेता को भी ईद की बधाई देने पर नहीं बख्शा और उन पर कई किस्म की ओछी टिप्पणियां कीं। मुझे नहीं मालूम की डॉ. हर्षवर्धन इन टिप्पणियों से आहत हुए या बेपरवाह रहे और इसका जवाब देना उन्होंने ठीक समझा या नहीं। लेकिन वे एक जननेता रहे हैं और वे लोगों को समझा सकते हैं कि ईद हो या कोई और पर्व हो, हम उन्हें मुबारकबाद देते हैं तो इससे हमारा धर्म कमजोर नहीं पड़ेगा, बल्कि भारत मजबूत होगा। उनके कहे का व्यापक असर लोगों पर होगा। सवाल यही है कि क्या वे या भाजपा के दूसरे नेता ऐसा कहेंगे। क्योंकि पिछले 9 सालों के भाजपा शासन में ही एक-दूसरे के धर्म पर बधाई देने पर ट्रोलिंग का यह माहौल बना है। नफरत तो पहले भी समाज में मौजूद थी, लेकिन इसे सांगठनिक स्वरूप और स्वीकृति नहीं मिली थी।

अब तो जिम्मेदार पदों पर बैठे लोग खुलकर नफरत और हिंसा भड़काने वाली बात कहते हैं, और उनकी बातों को न्यूज़ चैनल भड़काऊ शीर्षकों और चर्चाओं के साथ प्रसारित करते हैं। इन बातों से राजनैतिक और व्यावसायिक लाभ तत्काल मिल रहा है, लेकिन इसका दूरगामी नुकसान कितना हो गया है, यह आज के समाज को देखकर समझा जा सकता है। जहां एक समुदाय के संहार की बात सुनकर लोगों के रोंगटे खड़े नहीं होते, बल्कि उन्माद बढ़ता है कि अपने धर्म की रक्षा के लिए हम दूसरे को मिटा सकते हैं। इस उन्माद ने हिंदुस्तान की जड़ों को खोखला करना शुरु कर दिया है। तभी तो शान को जालीदार टोपी में देखना लोगों को बर्दाश्त नहीं हो रहा और जब शाहरुख खान ने लता मंगेशकर के पार्थिव शरीर के पास खड़े होकर फातिहा पढ़ी, तो उस पर भी धर्मांध लोग ट्रोल करने लगे।

शान अगर इस ट्रोलिंग पर माफी मांग कर अपनी पोस्ट हटा लेते, तो आश्चर्य नहीं होता। क्योंकि बिना रीढ़ के बहुत से कलाकार ऐसा कर सकते हैं। लेकिन शान ने अपने प्रचलित नाम के अनुरूप शान से जीने की राह बताते हुए ट्रोलर्स को ही नहीं, आम जनता को भी संदेश दे दिया है। इसे जनता जितनी जल्दी समझ ले, उतना अच्छा।

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