वनों से संबंधित मामले में दोषी ठहराये बिना भी जब्ती आदेश जायज

उच्चतम न्यायालय ने व्यवस्था दी है कि वन अपराध से संबंधित मुकदमे में आरोपी के पूरी तरह दोषी ठहराये बिना भी जब्ती की कार्रवाई जायज है;

Update: 2017-05-14 12:28 GMT

नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने व्यवस्था दी है कि वन अपराध से संबंधित मुकदमे में आरोपी के पूरी तरह दोषी ठहराये बिना भी जब्ती की कार्रवाई जायज है।

न्यायमूर्ति एन वी रमण और न्यायमूर्ति प्रफुल्ल चंद्र पंत की खंडपीठ ने मध्य प्रदेश सरकार बनाम श्रीमती कल्लो बाई मामले में पिछले दिनों राज्य सरकार की अपील स्वीकार करते हुए यह फैसला दिया। खंडपीठ की ओर से न्यायमूर्ति रमण ने फैसला सुनाते हुए कहा कि वनों से संबंधित आपराधिक मुकदमों में स्वतंत्र रूप से जब्ती की कार्रवाई को अनुचित नहीं कहा जा सकता।

न्यायालय ने 14 पन्ने के अपने फैसले में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के उस निर्णय को खारिज कर दिया जिसमें उसने कहा था कि जब तक आरोपी के खिलाफ अपराध सिद्ध नहीं हो जाता तब तक जब्ती की अनुमति नहीं दी जा सकती।

शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय द्वारा निरस्त किये जाने को त्रुटिपूर्ण करार दिया है। न्यायमूर्ति रमण ने उत्तर प्रदेश वन उपज (व्यापार विनिमय) अधिनियम 1969 की विभिन्न धाराओं की व्याख्या करते हुए कहा कि इस मामले में अवैध ढुलाई करने वाले ट्रैक्टर एवं ट्रॉली को जब्त करने के आदेश का मुख्य उद्देश्य संबंधित वाहन के भविष्य में दुरुपयोग पर रोक लगाना है।

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