'लाल किले' पर लहराया केसरिया

25 साल से वाम दुर्ग में तब्दील हो चुके त्रिपुरा में आज भाजपा का भगवा लहरा उठा;

Update: 2018-03-04 01:33 GMT

अगरतला/कोहिमा/शिलॉन्ग/नई दिल्ली।  25 साल से वाम दुर्ग में तब्दील हो चुके त्रिपुरा में आज भाजपा का भगवा लहरा उठा। 60 सदस्यीय राज्य विधानसभा की 59 सीटों पर हुए मतदान के नतीजों में भाजपा गठबंधन को दो तिहाई से भी ज्यादा सीटों पर जीत मिली हैं। वहीं कांग्रेस उत्तर पूर्व में एक मात्र कांग्रेस शासित मेघालय की सत्ता भी उससे छीनती हुई दिख रही है। राज्य में कांग्रेस भले ही सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी हो लेकिन किसी भी दल को बहुतम न मिलने के कारण यहां भाजपा ने भी कांग्रेस को रोकने की रणनीति तैयार करना शुरू कर दिया है। कांग्रेस और भाजपा ने अपने वरिष्ठ नेताओं को मेघालय भेज दिया है। नगालैंैंड में भी भाजपा ने पहली बार नेशनल डेमेक्रोटिक पीपुल्स पार्टी के साथ स्पष्टï बहुमत हसिल कर लिया है। भाजपा ने दावा किया कि तीनों ही राज्यों में राष्टï्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार बनेगी। दूसरी ओर कांग्रेस मेघालय की अपनी सरकार बचाने की जुगत में जुट गई है।

लेफ्ट से राइट हुआ त्रिपुरा

त्रिपुरा की 60 में से 59 सीटों के आज नतीजों के अनुसार भाजपा ने अकेले ही 35 सीटों पर जीत हासिल कर बहुमत के लिए जरूरी 31 सीटें हासिल कर ली हैं। भाजपा की सहयोगी इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट आफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) को भी 8 सीटों पर विजय मिली है। जबकि 2013 में 48 सीटों जीतने वाली मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी सिर्फ 16 सीटों पर सीमित होकर रह गई। पिछली चुनावों में लगभग 44 फीसदी वोट और 10 सीटें हासिल करने वाली कांग्रेस को इस बार दो फीसदी से कम वोट मिला और उसे कोई भी सीट हासिल नहीं हो पाई। 

राज्य में पहली बार खुला भाजपा का खाता

1972 में त्रिपुरा राज्य गठबंधन के बाद पहली बार भाजपा को न केवल राज्य विधानसभा में किसी सीट पर सफलता हासिल हुई बल्कि एक ही झटके में वह सत्ता हासिल करने लायक सीटें जीतने में कामयाब हो गई। राज्य के मुख्यमंत्री माणिक सरकार भले ही अपनी सीट बचाने में कामयाब हो गए हो, लेकिन 25 साल से उनके नेतृत्व में चल रही राज्य की वामपंथी सरकार सत्ता से बाहर हो गई। 

शून्य से शिखर पर भाजपा

त्रिपुरा में 2013 के विधानसभा चुनावों मे मात्र 1.5 प्रतिशत मतों पर सीमित रहने वाली भाजपा को गठबंधन के साथ 50 प्रतिशत से अधिक मत हासिल हुआ है। मतप्रतिशत के मामले में भी भाजपा को सबसे ज्यादा 43 फीसदी वोट हासिल हुए हंै। जबकि माकपा को 42.6 प्रतिशत वोट मिले हैं वाममोर्चा 44 फीसदी वोटों के पास सीमित गया है।

25 साल से सत्ता में थी माकपा

त्रिपुरा में माणिक सरकारके नेतृत्व में वाममोर्चे की 25 साल से सरकार थी और पश्चिम बंगाल की वाममोर्चा सरकार के लगातार 34 साल तक सत्ता में रहने के बाद त्रिपुरा में सबसे ज्यादा समय तक एक पार्टी की सरकार बनाने का रिकॉर्ड माणिक सरकार के नाम था लेकिन आज के चुनाव नतीजों ने सबसे ज्यादा समय तक सरकार बनाने के उनके रिकॉर्ड पर पानी फिर गया।

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