कंपोस्टिंग मशीन योजना को सिरे से नकार रहा आरडब्ल्यूए

  सेक्टरों से निकलने वाले जैविक कचरे का निस्तारण किया जाना था;

Update: 2018-05-28 14:20 GMT

नोएडा।  सेक्टरों से निकलने वाले जैविक कचरे का निस्तारण किया जाना था। कचरे के निस्तारण सेक्टर में हो जाए यह जिम्मेदारी आरडब्ल्यूए व प्राधिकरण की है।

प्राधिकरण ने इसके लिए एक बैठक आयोजित की थी। जिसमें आरडब्ल्यूए के पदाधिाकारियों के साथ प्राधिकरण अधिकारी मौजूद थे। बैठक में कंपनियों ने कंपोस्टिंग मशीन का प्रस्तुतीकरण दिया।

 इन कंपनियों की पूरी जानकारी आरडब्ल्यूए को सौंप दी गई थी। महज मशीन का चयन आरडब्ल्यूए को करना था। लेकिन ऐसा हो नहीं सका। प्राधिकरण की यह योजना फ्लाप हो गई।

खरीद में 75 प्रतिशत की सब्सीडी प्राधिकरण द्वारा दी जानी थी। बावजूद इसके शहर के आरडब्ल्यूए कोई रूचि नही ले रहे है। उधर लगातार विरोध होने से प्राधिकरण का कचरा निस्तारण तंत्र पूरी तरह से फेल हो चुका है। 

शहर में प्रतिदिन करीब 650 टन जैविक कचरा निकलता है। इसका बड़ा हिस्सा घरेलू कचरा है। योजना है कि सेक्टरों में कंपोस्टिंग मशीन लगाई जाए। सेक्टर के कचरे के निस्तारण वहीं कर दिया जाए। ताकि मुख्य कचरा प्रबंधन सयंत्र तक कम कचरा पहुंचे। ऐसे में लैंडफिल साइट को जीरो डिस्चार्ज बनाया जा सके। मशीनों के चयन की जिम्मेदारी आरडब्ल्यूए को दी गई थी। वह नियत दिनों के अंदर मशीन की जानकारी प्राधिकरण को सौंपनी थी।

लेकिन उल्टा आरडब्ल्यूए ने यह काम करने से साफ इंकार कर दिया। जबकि मशीन की लागत का 75 प्रतिशत प्राधिकरण को देना था और बाकी 25 प्रतिशत आरडब्ल्यूए को। इसके साथ कचरे से बनने वाली खाद प्राधिकरण उद्यान विभाग ही खरीदता। ताकि मशीन की लागत निकाली जा सके।

लेकिन ऐसा हुआ नहीं। महज एक सेक्टर-15ए में कंपोस्टिंग मशीन लग रही है। इसके अलावा शहर के एक भी सेक्टर प्राधिरकण की इस योजना के पक्ष में नहीं है। उनका स्पष्ट कहना है कि किसी के पास समय नहीं है। साथ ही इसमे लेबर के अलावा यह काम करना बहुत मुश्किल है। आरडब्ल्यूए की आय का कोई स्त्रोत भी नहीं है। ऐसे में 25 प्रतिशत तक पैसा भी कहां से लाया जाए। 

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