मोदी सरकार पर संघ को भरोसा नहीं
केंद्र सरकार राष्ट्रीय मौद्रिकरण योजना के सहारे छह लाख करोड़ रुपए जुटाना चाहती है. जिसमें सड़क, रेल, एयरपोर्ट, बंदरगाह सहित तमाम सरकारी कंपनियों को निजी हाथों में सौंपा जाएगा.मोदी सरकार जहां इस योजना को देश के विकास में महत्वपूर्ण बता रही है. वहीं विपक्ष इसे लेकर सरकार को लगातार घेर रहा है. और अब विपक्ष को संघ का भी साथ मिल गया है.;
नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन योजना के तहत 70 पीएसयू कंपनियों को निजी हाथों में सौंपे जाने का विरोध अब तेज होता जा रहा है. मोदी सरकार के अपने ही सरकार की इस योजना का विरोध कर रहे हैं. राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े भारतीय मज़दूर संघ ने तो सरकार को सीधे सीधे चेताते हुए इस निजीकरण की नीति पर फिर से विचार करने को कहा है. भारतीय मजदूर संघ ने कहा सरकार ने यदि उनकी मांग नहीं मानी तो 9 नवम्बर को देश के सभी जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन किया जाएगा. संघ ने कहा कि धन जुटाने के लिए सरकारी संस्थानों का मोनेटाइजेशन करना गन्ना बेच कर घर चलाने जैसा है. सरकार जमीनी हकीकत को देखे बगैर विशेषज्ञों की सलाह पर भरोसा कर फैसले ले रही है. मजदूर संघ कतई इस तरह के फैसले को स्वीकार नहीं करेगा. आरएसएस के इस संगठन ने महंगाई के मुद्दे पर भी मोदी सरकार को घेरते हुए 9 सितम्बर को देशव्यापी प्रदर्शन करने का ऐलान किया. संघ का कहना है कि केंद्र सरकार की नीतियों के चलते ही महंगाई अनियंत्रित हो रही है. भारतीय मजदूर संघ के ऐलान से साफ है कि अब संघ को भी मोदी सरकार की नीतियों पर भरोसा नहीं रहा है. इसलिए संघ भी अब सड़क पर उतर कर मोदी सरकार के खिलाफ आंदोलन की रणनीति बनाने में जुट गया है. भारतीय मजदूर संघ की तरह आरएसएस से जुड़ा भारतीय किसान संगठन भी मोदी सरकार की नीतियों का विरोध कर चुका है. यानी साफ है कि मोदी सरकार पर अब उसके अपने भी भरोसा करने को तैयार नहीं हैं.