रालोद ने योगी सरकार पर साधा निशाना
राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) ने प्रदेश की योगी सरकार पर मदरसों में स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम की वीडियोग्राफी कराए जाने के फरमान पर निशाना साधा है;
लखनऊ। राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) ने प्रदेश की योगी सरकार पर मदरसों में स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम की वीडियोग्राफी कराए जाने के फरमान पर निशाना साधा है।
साथ ही गोरखपुर के बीआरडी कॉलेज एवं अस्पताल में बच्चों व अन्य लोगों की मौत के मामले की न्यायिक जांच की मांग की है।
रालोद के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मसूद अहमद ने पार्टी मुख्यालय पर बुधवार को पत्रकारों से कहा, "स्वतंत्रता दिवस के पावन अवसर पर केवल मदरसों की वीडियोग्राफी कराना ही सबका साथ और सबका विकास है। वास्तविकता यह है कि देश के मुस्लिम समाज को शक की दृष्टि से देखकर ही सरकार के निर्णय होते हैं जो निंदनीय है। सरकार हर काम में हिंदू-मुस्लिम कर रही है। गोरखपुर प्रकरण में डॉ. कफील इसका उदाहरण हैं।"
उन्होंने कहा, "राज्य सरकार डंडे के जोर पर मदरसों से राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत गाने के लिए कह रही है। जबकि संविधान में यह कहीं भी नहीं लिखा है कि ऐसा न करना कोई जुर्म है। सरकार अपने ऐसे तुगलकी फरमान नहीं थोप सकती। वे वंदे मातरम नहीं गा सकते। वे जन-गण-मन जरूर गाएंगे।"
अहमद ने कहा कि 18 अगस्त को लखनऊ में गांधी प्रतिमा के समक्ष राष्ट्रीय लोकदल द्वारा धरना दिया जाएगा तथा 23 अगस्त को रालोद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयंत चौधरी के नेतृत्व में शांति मार्च निकाला जाएगा।
उन्होंने कहा, "गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में आक्सीजन के अभाव में एक ही दिन में लगभग 70 लोग अकाल मृत्यु का शिकार बना दिए गए, जिसमें लगभग 40 मासूम बच्चे हैं। इसलिए गोरखपुर की घटना नहीं बल्कि इसे जघन्य हत्याकांड का नाम दिया जाना चाहिए।"
रालोद प्रदेश अध्यक्ष ने कहा, "सरकार की असफलता का इससे बड़ा उदाहरण नहीं हो सकता। रालोद यह मांग करती है कि गोरखपुर के इस जघन्य हत्याकांड की न्यायिक जांच उच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायमूर्ति के द्वारा कराई जाए।"
अहमद ने कहा, "गोरखपुर की घटना अनुभवहीन एवं दिशाहीन मुख्यमंत्री की कार्यशैली का जीता जागता उदाहरण है। आज प्रदेश का किसान, मजदूर, गरीब एवं आम जन त्राहि-त्राहि कर रहा है। मुख्यमंत्री को नैतिकता के आधार पर और प्रदेश का भला न कर पाने के लक्षणों को देखते हुए त्यागपत्र दे देना चाहिए।"
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह चूंकि लाल बहादुर शास्त्री के परिवार से संबंध रखते हैं और स्वास्थ्य विभाग में इतना बड़ा कांड हो जाता है, ऐसे में स्वयं लाल बहादुर शास्त्री के आदशरें पर चलते हुए उन्हें त्यागपत्र दे देना चाहिए।"