नेपाल तक फैला था राजेश्वर सिंह यादव का कारोबार

नामी-बेनामी आकूत संपत्ति के मालिक उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग के अधीक्षण अभियंता राजेश्वर सिंह यादव का कारोबार नोएडा से नेपाल तक पसरा हुआ है;

Update: 2017-11-12 14:56 GMT

नोएडा। नामी-बेनामी आकूत संपत्ति के मालिक उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग के अधीक्षण अभियंता राजेश्वर सिंह यादव का कारोबार नोएडा से नेपाल तक पसरा हुआ है। बिल्डर लाबी से लेकर सरकारी ठेकेदारों के बीच गहरी पैठ मानी जा रही है। 

सूत्र बताते है कि सत्ता पक्ष व विपक्ष में बेहतर तालमेल के जरिए ही हाल में नोएडा में तैनाती मिली थी लेकिन उसके पिछली सरकार में सत्ता के सबसे मजबूत माने जाने वाले तीनों केंद्रों के नेताओं से अच्छे संबंध रहे है। इन्हीं कारणों से उसे एनटीपीसी दादरी से मुफ्त में फ्लाई एश उठाकर ईंट बनाने की अनुमति मिली। जिसके लिए यादव ने करीब चार वर्ष पहले ही दादरी जारचा में आटो क्लेव कंकरीट ब्लाक बनाने का हाईटेक प्लांट लगाया है।

जिसमें करीब 200 करोड़ रुपए खपाने की बात कही जा रही है। बताया जाता है कि इस प्लांट के जरिए भी बहुत बड़ा टैक्स चोरी का खेल राजेश्वर की ओर से खेला गया है। चूंकि फ्लाई एश पर जीएसटी लागू होने से पहले सिर्फ  पांच फीसद टैक्स था। जबकि ऑटो क्लेव कंकरीट ब्लाक बनने के बाद उस पर 12.5 फीसद एक्साइज टैक्स था। अन्य टैक्स को मिलकर यह उत्पाद 28 फीसद की श्रेणी में आता था, लेकिन कंपनी की ओर से फ्लाई एश की आड़ में उसने ऑटो क्लेव कंकरीट ब्लाक बेचकर केवल पांच फीसद टैक्स की बिलिग की जा रही थी। जीएसटी के लागू होने के बाद फ्लाई एश पर 12 फीसद और ऑटो क्लेव कंकरीट ब्लाक 28 फीसद सीधा टैक्स हो गया था। जो हाल में बदलकर टैक्स स्लैब 5 और 12 फीसद हो चुका है।

यहीं ब्लाक बिल्डर लाबी से लेकर सरकारी ठेकेदार को टैक्स चोरी कर बेचा जा रहा था। इसलिए नोएडा से लेकर नेपाल तक कारोबार पसारा हुआ था। बताया जाता ही इसी कारोबारी प्रतिस्पर्धा के कारण राजेश्वर सिंह यादव की शिकायत की गई और इसके खिलाफ  कार्रवाई शुरू हुई। आयकर के अधिकारी अब राजेश्वर सिंह यादव के किन-किन रसूकदार नेताओं से संपर्क में है। उनका कितना कालाधन उसने अपने जरिए खपाया है। 

यह जब्त दस्तावेजों के आधार पर जानने का प्रयास कर रही है। अधिकारी यह भी बता रहे है कि नोटबंदी के दौरान उसने बहुत सा कालाधन खुद का भी सफेद किया है और अपने संबंधों के आधार पर भारत से नेपाल तक कालाधन को सफेद कराने में इस्तेमाल किया। यह सभी कडिण्यां जुड़ रही है। जल्द अन्य लोगों के यहां पर छापेमारी हो सकती है। एनसीआर में जिस प्रकार के दस्तावेज आयकर की टीम के हाथ लगे है। वह सभी इसी ओर इशारा कर रहे है।

फर्जी फर्म बनाकर काला को सफेद करने में था माहिर

आय से अधिक संपत्ति के मामले में सिंचाईं विभाग के चीफ  इंजीनियर राजेश्वर सिंह यादव के ठिकानों पर हुई आयकर विभाग की छापेमारी में कई अहम दस्तावेज मिले हैं। जिसमें एक डायरी भी शामिल है जिसमें यादव के कई राज दफन हैं। आयकर विभाग के सूत्रों के मुताबिक इस डायरी में कोड़िग के जरिए करोड़ों रुपए का लेनेदेन लिखा हुआ और इसमें कई फर्जी फर्म का भी जिक्र है जो यादव ने कालाधन सफेद करने के लिए बनाई। वहीं आयकर विभाग जब्त किए लैपटॉप और कंप्यूटर से जानकारी हासिल करने के लिए एक्सपर्ट्स की मदद ले रहा है।

जानकारी के मुताबिक यादव के खिलाफ  विभाग को 200 करोड़ रुपए से अधिक कहीं अधिक बेनाम संपत्ति के सबूत मिले हैं और जल्द ही इन सबूतों के आधार पर यादव के खिलाफ  कार्रवाई की जाएगी। सूत्रों की मानें तो यादव के साथ-साथ कई और अधिकारियों के खिलाफ  भी विभाग कार्रवाई करने जा रहा है। इनके खिलाफ  भी कई सबूत जुटाए गए हैं। साथ ही कई सफेद पॉश लोगों के भी नाम कार्रवाई के दौरान आ सकते हैं और उनके खिलाफ  भी आयकर विभाग सबूत जुटा रहा है।

बता दें कि शुक्रवार को आयकर विभाग की टीम ने राजेश्वर यादव के कई ठिकानों पर छापेमारी की। इस दौरान अधिकारियों मौके से कई अहम दस्तावेज, लैपटॉप, कंप्यूटर आदि अपने साथ लेकर गए। इस दौरान यादव के विभिन्न सेक्टर स्थित घर, दादरी स्थित फैक्ट्री और दिल्ली स्थित ऑफिस पर छापेमारी की गई। आयकर विभाग ने यादव पर करीब 200 करोड़ रुपए की बेनामी संपत्ति होने की बात कही थी लेकिन अभी भी जांच चल रही है और यह आंकड़ा और भी अधिक ऊपर जा सकता है। 

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