भारत की तीनों सेनाओं के डायरेक्टर जनरल की प्रेस कॉन्फ्रेंस, बताया 3 बड़े आतंकियों को मार गिराया

भारतीय थल सेना के महानिदेशक सैन्य अभियान (डीजीएमओ) लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने एक प्रेस ब्रीफिंग में बताया कि 'ऑपरेशन सिंदूर' का मुख्य उद्देश्य आतंकवाद को खत्म करना था;

Update: 2025-05-11 18:42 GMT

नई दिल्ली। भारतीय थल सेना के महानिदेशक सैन्य अभियान (डीजीएमओ) लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने रविवार को एक प्रेस ब्रीफिंग में बताया कि 'ऑपरेशन सिंदूर' का मुख्य उद्देश्य आतंकवाद को खत्म करना था, जिसमें भारतीय सेना ने जबरदस्त सफलता हासिल की।

लेफ्टिनेंट जनरल घई ने बताया कि ऑपरेशन के तहत 100 से अधिक आतंकवादियों को मार गिराया गया, साथ ही उनके कई ठिकानों को भी नेस्तनाबूद किया गया। उन्होंने कहा, “हमने आतंकवादी हमले का माकूल जवाब दिया है और सबूतों के साथ आतंकी अड्डों को तबाह करने की पुष्टि भी की है।”

उन्होंने बताया कि इस ऑपरेशन में तीन कुख्यात आतंकवादी युसुफ अजहर, अब्दुल मलिक राऊफ और मुदस्सिर अहमद को भी ढेर किया गया, जो लंबे समय से भारत के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों में सक्रिय थे। इनकी तलाश भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को लंबे समय से थी। ये आईसी-814 हाईजैक और पुलवामा हमले में शामिल थे।

डीजीएमओ ने बताया कि इस सैन्य कार्रवाई की योजना पहलगाम में भारतीय नागरिकों पर हुए आतंकवादी हमले के बाद बनाई गई थी। ऑपरेशन का मकसद आतंकवादियों और उनके ठिकानों का पूरी तरह सफाया करना था।

उन्होंने कहा कि भारतीय एजेंसियों ने सीमा पार मौजूद आतंकवादी शिविरों की पहचान की। हालांकि, इनमें से कई ठिकानों को पहले ही खाली कर दिया गया था, लेकिन नौ ऐसे ठिकानों का पता चला, जिन्हें भारत की खुफिया एजेंसियों ने सक्रिय करार दिया था।

उन्होंने कहा कि ये ठिकाने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) के अलावा पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में स्थित थे, जिनमें मुरीदके जैसे इलाके भी शामिल हैं, जो पहले अजमल कसाब और डेविड हेडली जैसे कुख्यात आतंकवादियों से जुड़े रहे हैं।

लेफ्टिनेंट जनरल घई ने आतंकवादी ठिकानों की 'ऑपरेशन सिंदूर' के पहले और उसके बाद की सैटेलाइट तस्वीरें भी दिखाई, जिनमें स्पष्ट रूप से पता चल रहा है कि भारतीय सशस्त्र बलों ने आतंकवादियों के ठिकानों को कितना भारी नुकसान पहुंचाया है।

उन्होंने आरोप लगाया कि पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा पर सीजफायर का उल्लंघन किया और उनकी गोलाबारी में गुरुद्वारों जैसे नागरिक स्थलों को भी निशाना बनाया गया, जो अंतर्राष्ट्रीय नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है।

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