बेरोज़गारी और वोट चोरी, एक ही सिक्के के दो पहलू: राहुल गांधी

कांग्रेस सांसद एवं नेता विपक्ष राहुल गांधी ने बिहार की राजधानी पटना में होने वाली वाली पार्टी की कार्यसमिति की बैठक से पहले एक बार फिर वोट चोरी का मुद्दा उठाया और उसे बेरोज़गारी से जोड़ते हुए कहा कि आज़ाद भारत के इतिहास का यह सबसे बड़ा संकट है;

Update: 2025-09-23 08:08 GMT

राहुल ने मोदी सरकार पर बोला हमला, कहा -सरकार चुनाव जनता का विश्वास जीतकर नहीं, चोरी करके जीतती है

नई दिल्ली। कांग्रेस सांसद एवं नेता विपक्ष राहुल गांधी ने बिहार की राजधानी पटना में होने वाली वाली पार्टी की कार्यसमिति की बैठक से पहले एक बार फिर वोट चोरी का मुद्दा उठाया और उसे बेरोज़गारी से जोड़ते हुए कहा कि आज़ाद भारत के इतिहास का यह सबसे बड़ा संकट है।

राहुल गांधी ने मंगलवार को सोशल मीडिया में संदेश में कहा "भारत में युवाओं की सबसे बड़ी समस्या बेरोज़गारी है और इसका सीधा रिश्ता वोट चोरी से है। जब सरकार चुनाव जनता का विश्वास जीतकर नहीं बल्कि चोरी करके जीतती है, तो उसे नौकरियां देने, भर्ती प्रक्रियाएं सुधारने या युवाओं के सपनों की रक्षा करने की कोई परवाह नहीं रहती।"

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) पर युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ करने का गंभीर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि बेरोज़गारी उच्चतम स्तर पर है, नौकरियां लगातार घट रही हैं और भर्ती प्रक्रियाएं पेपर लीक व भ्रष्टाचार से ध्वस्त हो चुकी हैं। उन्होंने कहा, "देश का युवा मेहनत कर रहा है, सपने देख रहा है लेकिन मोदी सिर्फ अपने जनसंपर्क अभियान, सेलिब्रिटीज़ से गुणगान और अरबपतियों के मुनाफे में व्यस्त हैं। युवाओं की उम्मीदों को तोड़ना और उन्हें हताश करना ही इस सरकार की असली पहचान बन चुकी है।"

राहुल गांधी ने कहा कि अब हालात बदल रहे हैं। भारत का युवा समझ चुका है कि असली लड़ाई सिर्फ नौकरियों की नहीं, बल्कि वोट चोरी के खिलाफ है। जब तक चुनाव चोरी होते रहेंगे, तब तक बेरोज़गारी और भ्रष्टाचार भी बढ़ते रहेंगे।" उन्होंने आगे कहा, "अब युवा न नौकरी की लूट सहेंगे, न वोट की चोरी। भारत को बेरोज़गारी और वोट चोरी से मुक्त करना ही अब सबसे बड़ी देशभक्ति है।

प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन 17 सितंबर पर हुए आयोजनों पर तंज कसते हुए कांग्रेस नेता ने कहा "मोदी जी युवाओं को नौकरी देने में पूरी तरह नाकाम रहे हैं, लेकिन अपने जन्मदिन का भव्य उत्सव मनाने और अपनी छवि चमकाने में हमेशा व्यस्त रहते हैं। जब देश का युवा निराशा और हताशा में है, तब प्रधानमंत्री का जश्न मनाना उनकी असंवेदनशीलता का सबसे बड़ा सबूत है।"

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