नई दिल्ली : 'वोट चोरी' के खिलाफ इंडिया की बड़ी प्रेस कॉन्फ्रेंस लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई वोट देने का अधिकार- संविधान के द्वारा दिया गया सबसे महत्वपूर्ण अधिकार है। हमारा लोकतंत्र आम लोगों के 'वोट देने के अधिकार' पर ही निर्भर है। इस अधिकार का संरक्षण केंद्रीय चुनाव आयोग का है। लेकिन जब देश के राजनीतिक दल, चुनाव आयोग से महत्वपूर्ण सवाल पूछ रहे हैं, तो चुनाव आयोग जवाब नहीं दे पा रहा है। चुनाव आयोग अपनी जिम्मेदारी से भागने की कोशिश कर रहा है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के सामने चुनाव आयोग ने जितनी भी बातें रखी, कोर्ट ने उन सबको नकार दिया। इसके बाद मुख्य चुनाव आयुक्त ने प्रेस वार्ता की। इस वार्ता में उन्हें चुनाव आयोग की कमजोरी बतानी थी और विपक्ष के जायज सवालों के जवाब देने थे। जवाब देने के विपरीत, चुनाव आयुक्त ने राजनीतिक दलों पर ही सवाल उठाए, उनके ऊपर आक्रमण किया। चुनाव आयुक्त को जवाब देना था कि ⦁ SIR की प्रक्रिया इतनी हड़बड़ी में क्यों लाई गई? ⦁ जब चुनाव सिर्फ 3 महीने बाद है, ऐसे में बिना विपक्षी दलों से चर्चा किए SIR लाने का क्या कारण था? ⦁ महाराष्ट्र में लोकसभा और विधानसभा के बीच बड़ी संख्या में वोटर कहां से आ गए? ⦁ ये निर्णय क्यों लिया गया कि पोलिंग बूथ के CCTV फुटेज को 45 दिनों में डिलीट कर दिया जाएगा? ⦁ महादेवापुरा में 1 लाख फर्जी वोटर कहां से आए? ⦁ आखिर कैसे मशीन रीडेबल इलेक्टोरल वोट प्राइवेसी का उल्लंघन हैं? ⦁ बिहार के 65 लाख मतदाताओं के नाम आखिर क्यों काटे गए, वे इसका कारण एक सर्चेबल फॉर्मेट में क्यों नहीं दे पाए? ⦁ आखिर क्यों वे वोटर आईडी के लिए आधार के खिलाफ थे? प्रेस वार्ता में चुनाव आयोग ने एक निष्पक्ष चुनाव करवाने की अपनी जिम्मेदारी को पूरी तरीके से नकार दिया। ये साफ हो चुका है कि चुनाव आयोग कुछ ऐसे अधिकारियों के कब्जे में है, जो किसी एक पार्टी का पक्ष लेते हैं। चुनाव आयोग को लगता है कि वो बड़ी-बड़ी बातें करके राजनीतिक दलों को डरा देंगे। हम उनसे इतना ही कहना चाहते हैं कि अफसर आएंगे-जाएंगे, लेकिन सदन हमेशा रहेगा और उनकी कार्रवाई की गवाही देगा। हम उन पर नजर रखेंगे और आने वाले समय में उचित कदम ऊठाएंगे। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव राम गोपाल यादव चुनाव आयोग ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा- जो आरोप लगाया है, उसका एफिडेविट देना होगा। राम गोपाल यादव ने कहा कि ⦁2022 में यूपी चुनाव के समय जब अखिलेश यादव ने कहा कि समाजवादी पार्टी के वोट काटे गए हैं, तब चुनाव आयोग ने नोटिस देकर कहा कि आप एफिडेविट के माध्यम से बताइए। ⦁सपा ने 18,000 मतदाताओं का एफिडेविट दिया, लेकिन आज तक चुनाव आयोग ने एक पर भी कार्रवाई नहीं की। ⦁2024 में जब उत्तर प्रदेश में चुनाव हुआ तो उसमें इन्होंने BLOs को बदल दिया। इसकी भी शिकायत हमने की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। ⦁मैनपुरी में चुनाव के समय सिर्फ एक बिरादरी के लोगों की पोस्टिंग की गई थी। उसकी भी शिकायत हमने की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। चुनाव आयोग हमेशा से विपक्ष की शिकायतों को नजरअंदाज करता रहा है। BJP सरकार और चुनाव आयोग की मंशा साफ है कि कैसे लोगों से वोट का अधिकार छीन लिया जाए।
नई दिल्ली : 'वोट चोरी' के खिलाफ इंडिया की बड़ी प्रेस कॉन्फ्रेंस लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई वोट देने का अधिकार- संविधान के द्वारा दिया गया सबसे महत्वपूर्ण अधिकार है। हमारा लोकतंत्र आम लोगों के 'वोट देने के अधिकार' पर ही निर्भर है। इस अधिकार का संरक्षण केंद्रीय चुनाव आयोग का है। लेकिन जब देश के राजनीतिक दल, चुनाव आयोग से महत्वपूर्ण सवाल पूछ रहे हैं, तो चुनाव आयोग जवाब नहीं दे पा रहा है। चुनाव आयोग अपनी जिम्मेदारी से भागने की कोशिश कर रहा है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के सामने चुनाव आयोग ने जितनी भी बातें रखी, कोर्ट ने उन सबको नकार दिया। इसके बाद मुख्य चुनाव आयुक्त ने प्रेस वार्ता की। इस वार्ता में उन्हें चुनाव आयोग की कमजोरी बतानी थी और विपक्ष के जायज सवालों के जवाब देने थे। जवाब देने के विपरीत, चुनाव आयुक्त ने राजनीतिक दलों पर ही सवाल उठाए, उनके ऊपर आक्रमण किया। चुनाव आयुक्त को जवाब देना था कि ⦁ SIR की प्रक्रिया इतनी हड़बड़ी में क्यों लाई गई? ⦁ जब चुनाव सिर्फ 3 महीने बाद है, ऐसे में बिना विपक्षी दलों से चर्चा किए SIR लाने का क्या कारण था? ⦁ महाराष्ट्र में लोकसभा और विधानसभा के बीच बड़ी संख्या में वोटर कहां से आ गए? ⦁ ये निर्णय क्यों लिया गया कि पोलिंग बूथ के CCTV फुटेज को 45 दिनों में डिलीट कर दिया जाएगा? ⦁ महादेवापुरा में 1 लाख फर्जी वोटर कहां से आए? ⦁ आखिर कैसे मशीन रीडेबल इलेक्टोरल वोट प्राइवेसी का उल्लंघन हैं? ⦁ बिहार के 65 लाख मतदाताओं के नाम आखिर क्यों काटे गए, वे इसका कारण एक सर्चेबल फॉर्मेट में क्यों नहीं दे पाए? ⦁ आखिर क्यों वे वोटर आईडी के लिए आधार के खिलाफ थे? प्रेस वार्ता में चुनाव आयोग ने एक निष्पक्ष चुनाव करवाने की अपनी जिम्मेदारी को पूरी तरीके से नकार दिया। ये साफ हो चुका है कि चुनाव आयोग कुछ ऐसे अधिकारियों के कब्जे में है, जो किसी एक पार्टी का पक्ष लेते हैं। चुनाव आयोग को लगता है कि वो बड़ी-बड़ी बातें करके राजनीतिक दलों को डरा देंगे। हम उनसे इतना ही कहना चाहते हैं कि अफसर आएंगे-जाएंगे, लेकिन सदन हमेशा रहेगा और उनकी कार्रवाई की गवाही देगा। हम उन पर नजर रखेंगे और आने वाले समय में उचित कदम ऊठाएंगे। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव राम गोपाल यादव चुनाव आयोग ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा- जो आरोप लगाया है, उसका एफिडेविट देना होगा। राम गोपाल यादव ने कहा कि ⦁2022 में यूपी चुनाव के समय जब अखिलेश यादव ने कहा कि समाजवादी पार्टी के वोट काटे गए हैं, तब चुनाव आयोग ने नोटिस देकर कहा कि आप एफिडेविट के माध्यम से बताइए। ⦁सपा ने 18,000 मतदाताओं का एफिडेविट दिया, लेकिन आज तक चुनाव आयोग ने एक पर भी कार्रवाई नहीं की। ⦁2024 में जब उत्तर प्रदेश में चुनाव हुआ तो उसमें इन्होंने BLOs को बदल दिया। इसकी भी शिकायत हमने की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। ⦁मैनपुरी में चुनाव के समय सिर्फ एक बिरादरी के लोगों की पोस्टिंग की गई थी। उसकी भी शिकायत हमने की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। चुनाव आयोग हमेशा से विपक्ष की शिकायतों को नजरअंदाज करता रहा है। BJP सरकार और चुनाव आयोग की मंशा साफ है कि कैसे लोगों से वोट का अधिकार छीन लिया जाए।