नमो ऐप के जरिए पीएम मोदी ने किया डिजिटल इंडिया योजना के विभिन्न लाभार्थियों से संवाद
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि सरकार की डिजिटल इंडिया योजना दलालों और बिचौलियों पर अंकुश लगाने में कारगर और लोगों को सशक्त बनाने में बहुत मददगार साबित हो रही है;
नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि सरकार की डिजिटल इंडिया योजना दलालों और बिचौलियों पर अंकुश लगाने में कारगर और लोगों को सशक्त बनाने में बहुत मददगार साबित हो रही है।
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पीएम मोदी ने आज डिजिटल इंडिया योजना के विभिन्न लाभार्थियों से संवाद करते हुए कहा , “ यह पहल देश में करोड़ों लोगों की जिंदगी में बदलाव ला रही है । इस पहल से छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में एक तरफ जहां बड़े पैमानें पर रोजगार सृजन करने में मदद मिली है वहीं काला धन और जमाखोरों के खिलाफ अंकुश लगाने में इससे बहुत मदद मिली है। कुछ लोगों द्वारा यह अफवाहें फैलायी जा रही है कि डिजिटल के इस्तेमाल से पैसा सुरक्षित नहीं है।”
उन्होंने कहा कि इससे बिचौलियों के लिए समस्या पैदा हो रही है और वे ही ऐसी अफवाहें फैलाते हैं। इस योजना के जरिये लोगों को सशक्त बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा , “ किसी को दिखे या ना दिखे , लेकिन देश बदल रहा है।”
पीएम मोदी ने कहा कि डिजिटल इंडिया योजना की शुरुआत इस संकल्प के साथ कि गयी थी कि देश के सामान्य व्यक्ति, गरीब, किसान, युवाओं और गांवों को इस योजना से जोड़ना और उन्हें सशक्त बनाना है तथा इसके लाभ अब सामने आने लगे हैं। आज गांव में पढ़ने वाला छात्र सिर्फ अपने स्कूल, कालेजों में उपलब्ध किताबों तक सीमित नहीं रह गया है। इंटरनेट का उपयोग कर डिजिटल लाइब्रेरी के माध्यम से लाखों किताबों तक आसानी से पहुंच बना रहा है। उन्होंने कहा कि डिजिटल इंडिया को आगे ले जाना है । यह एक ऐसी लड़ाई है जो दलाल बनाम डिजिटल इंडिया है।
डिजिटल भुगतान का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “ जब मैंने इस माघ्यम से भुगतान की बात की थी तो कुछ लोगों ने मेरा बहुत मखौल उड़ाया था। ” उन्होंने कहा कि रुपे कार्ड डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव ला रहा है। आज देश में करीब पचास करोड़ रुपे कार्ड लोगों की जेब में हैं। भारत में ही नहीं विदेश में भी इस कार्ड का इस्तेमाल किया जा रहा है।
रूपे कार्ड का इस्तेमाल बढ़ाने पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हर व्यक्ति देश की सीमा पर जाकर रक्षा नहीं कर सकता , किंतु रुपे कार्ड का इस्तेमाल करके भी देश सेवा की जा सकती है। रुपे कार्ड का उपयोग करने की यदि आदत डाल लें तो वह भी देश सेवा का एक माध्यम बनेगा। जब हम अन्य कार्ड प्रयोग करते हैं तो हमारे लेन-देन पर जो कमाई होती है वो कार्ड वाले विदेश लेकर चले जाते हैं लेकिन रुपे कार्ड से जो भी कारोबार होगा वह पैसा देश में रहेगा और यहां के लोगों की भलाई के काम में इस्तेमाल किया जायेगा।
पीएम मोदी ने कहा कि वर्तमान में देश में लाखों की संख्या में युवा ग्रामीण स्तर उद्यमी (वीएलई) के रुप में काम कर रहे हैं। सबसे खुशी की बात यह है कि इनमें से 52 हजार महिला उद्यमी हैं। देश में करीब तीन लाख कामन सर्विस सेंटर्स खोले जा चुके हैं। सरकार ने प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान की शुरुआत की है। इस अभियान के तहत छह करोड़ लोगों को डिजिटल कौशल और प्रशिक्षण देने का लक्ष्य रखा गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले अधिकांश सूचना प्रौद्योगिकी और बीपीओ उद्योग देश के बड़े-बड़े महानगरों में फैले। छोटे शहरों और कस्बों में जरुरी प्रतिभा मौजूद होने के बावजूद इसका लाभ नहीं मिला और गांवों से शहरों की तरफ पलायान एक चुनौती थी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के सभी इलाकों में रोजगार के समान अवसर मुहैया हो , सरकार ने इसके लिए डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत भारत बीपी संवर्धन योजना और पूर्वोत्तर के लिए एक विशेष बीपीओ संवर्धन योजना की शुरुआत की । इसके तहत सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में लगभग दो लाख रोजगार के अवसर उत्पन्न होंगे। इन योजनाओं के लिए करीब साढ़े पांच सौ करोड़ रुपए का बजट निर्धारित किया गया है।
उन्होंने कहा कि यह देखकर काफी प्रसन्नता होती है कि हमारे युवा और विशेषकर हमारी बेटियां इन बीपीओ में न केवल भारतीय भाषाओं में बल्कि अंग्रेजी, अरबी और स्पेनिस जैसी विदेशी भाषाओं में बखूबी काम कर रही हैं। इलेक्ट्रानिक विनिर्माण को बढ़ावा देने का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इलेक्ट्रानिक इन मैन्युफैक्चरिंग कलस्टर(ईएमसी) योजना के तहत 15 राज्यों में 23 ईएमसी स्थापित किए जा रहे हैं। सरकार इलेक्ट्रानिक हार्डवेयर विनिर्माण को प्राथमिकता दे रही है और इसी का नतीजा है कि पिछले चार साल में देश के इलेक्ट्रानिक हार्डवेयर के उत्पादन में काफी बढ़ोतरी हुई है।
नेशनल नालेज नेटवर्क(एनकेएन) का संदर्भ में श्री मोदी ने कहा कि यह एक हाईस्पीड गीगाबाइट नेटवर्क है और डिजिटल इंडिया का एक महत्वपूर्ण आधार है। यह नेटवर्क देश में करीब 1700 शोध और शिखा संस्थानों को आपस में जोड़ता है। नेटवर्क से आईआईटी, आईआईएम, अनुसंधान केंद्र, विश्वविद्यालय, पुस्तकालय, प्रयोगशालाएं , कृषि संस्थान , परमाणु , अंतरिक्ष और रक्षा क्षेत्र की एजेंसियां एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं।
उन्होंने कहा कि नागरिकों से प्राप्त विभिन्न सुझाावों को संबंधित मंत्रालयों तक पहुंचाना। इनके क्रियान्वयान की भावनाओं पर काम करना और ज्यादा से ज्यादा युवाओं को इससे जोड़ने में ‘माई गव’ एक मजबूत प्लेटफार्म के रुप में सामने आया है। करीब 60 लाख वालंटियर्स इस प्लेटफार्म से जुड़े हुए हैं और नागरिक सरकार का हिस्सा बन गया है।
सुझाव देने के अलावा अलग-अलग वालंटियर गतिविधियों में भी युवा बहुत बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। सरकार हर वर्ष बजट में वालंटियर्स से प्राप्त सुझावों को सम्मिलित करती है। स्वच्छ भारत अभियान, जन धन योजना, डिजिटल इंडिया जैसी अनेक योजनाओं के लोगो और उसकी टैगलाइन ‘माइ गव’ के जरिये से नागरिकों के योगदान से बनी है और इसमें सरकार का समय नहीं लगा।