व्यापमं के नाम से डरते हैं लोग : पी.सी. शर्मा

मध्य प्रदेश के विधि-विधाई और जनसंपर्क मंत्री पी.सी. शर्मा ने आज यहां कहा कि लोग व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) के नाम से डरते;

Update: 2019-01-14 14:40 GMT

भोपाल। मध्य प्रदेश के विधि-विधाई और जनसंपर्क मंत्री पी.सी. शर्मा ने आज यहां कहा कि लोग व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) के नाम से डरते हैं, इसलिए इसके स्थान पर नया नाम आना चाहिए। शर्मा ने आज यहां संवाददाताओं से कहा, "व्यापमं एक ऐसा नाम हो गया है, जो भ्रष्टाचार का पर्याय बन गया है। पहले भी नाम बदलने का कदम पूर्व की सरकार ने उठाया था, जो अब भ्रष्टाचार का पर्यायवाची बन चुका है। इसलिए कोई ऐसा नाम आ जाए, जिससे लोगों को डर नहीं लगे, अभी लोग व्यापमं के नाम से डरते हैं।"

भाजपा की शिवराज सिंह चौहान की सरकार के दौरान व्यापमं का नमा बदलकर प्रोफेशन एग्जामिनेश बोर्ड करने की कवायद चली। अब एक बार फिर व्यापमं के नाम पर बहस शुरू हो गई है।

उल्लेखनीय है कि राज्य में व्यापमं के जरिए तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की भर्ती परीक्षाएं आयोजित की जाती रही हैं। व्यापमं में गड़बड़ी का बड़ा खुलासा सात जुलाई, 2013 को पहली बार पीएमटी परीक्षा के दौरान तब हुआ, जब एक गिरोह इंदौर की अपराध शाखा की गिरफ्त में आया। यह गिरोह पीएमटी परीक्षा में फर्जी विद्याíथयों को बैठाने का काम करता था। तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस मामले को अगस्त 2013 में एसटीएफ को सौंप दिया।

उच्च न्यायालय जबलपुर ने मामले का संज्ञान लिया और उसने उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायााीश, न्यायमूíत चंद्रेश भूषण की अयक्षता में अप्रैल 2014 में एसआईटी गठित की, जिसकी देखरेख में एसटीएफ जांच करता रहा। नौ जुलाई, 2015 को मामला सीबीआई को सौंपने का फैसला हुआ और 15 जुलाई से सीबीआई ने जांच शुरू की।

सरकार के पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा, उनके ओएसडी रहे ओ़ पी़ शुक्ला, भाजपा नेता सुधीर शर्मा, व्यापमं के नियंत्रक रहे पंकज त्रिवेदी, कंप्यूटर एनालिस्ट नितिन मोहिद्रा जेल जा चुके हैं। इस मामले से जुड़े 50 लोगों की जान भी जा चुकी है। मामले में 2000 से ज्यादा लोगों को जेल जाना पड़ा, 400 से ज्यादा लोग अब भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं।

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