अभिभावकों ने बच्चों की सुरक्षा के लिए दिए सुझाव

 स्कूल में बच्चों की सुरक्षा को लेकर रायन इंटरनेशनल ग्रेटर नोएडा की प्रधानाचार्या के साथ अभिभावकों की बैठक हुई, जिसमें अभिभावकों ने विद्यालय के अंदर बच्चों की सुरक्षा के लिए अपने सुझाव दिए;

Update: 2017-09-14 14:53 GMT

ग्रेटर नोएडा।  स्कूल में बच्चों की सुरक्षा को लेकर रायन इंटरनेशनल ग्रेटर नोएडा की प्रधानाचार्या के साथ अभिभावकों की बैठक हुई, जिसमें अभिभावकों ने विद्यालय के अंदर बच्चों की सुरक्षा के लिए अपने सुझाव दिए, विद्यालय प्रशासन ने अभिभावकों के सुझाव को विद्यालय में लागू करने की सहमति जतायी है।

गुरुग्राम में रायन स्कूल में छात्र प्रद्युम्न की हत्या को लेकर अभिभावकों में अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर तरह-तरह के सवाल उठ रहे थे, जिसको लेकर लगभग दो सौ अभिभावक रायन स्कूल पहुंचे थे। बुधवार को बैठक शुरू होने से पहले सभी शिक्षक एवं अभिभावकों ने प्रद्युम्न की आत्मा की शांति के लिए एक मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी। अभिभावकों ने सुझाव दिया कि बस चालक बस को तेजी से चलाते हैं, आशंका है कि इनमें से कई चालक शराब भी पीते होगें, इनकी औचक जांच होनी चाहिए। किसी भी दिन कोई घटना हो सकती है। स्कूल की प्रधानाचार्या सुधा सिंह ने कहा कि पहले भी चालकों का परीक्षण किया जाता रहा है। अब इसे और गंभीरता से जांच कराएंगे। अभिभावक नेहा शर्मा ने एंट्री प्वाइंट पर सीसीटीवी कैमरे लगाने की मांग रखी, जिसे प्रबंधन ने स्वीकार किया।

वहीं, बस चालकों और परिचालकों की स्कूल बिल्डिंग और खेल मैदान में प्रवेश न होकर उन्होंने स्कूल बिल्डिंग के बाहर एक स्थान पर रुकने की जगह दी जाएगी। इसी स्थान पर उनके वॉशरूम की व्यवस्था की जाएगी। इस दौरान अभिभावक विक्रम जेठानी ने सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के मुताबिक स्कूल से कमियां दूर करने के लिए कहा, साथ ही उन्होंने गाइडलाइन की अनदेखी का आरोप लगाते हुए रॉयन की कुछ स्कूल बसों का सफेद बताया। इस पर स्कूल प्रबंधन ने ऐसी इक्का-दुक्का बसों को जल्द ही गाइडलाइन के मुताबिक पीला रंग और उन पर स्कूल का नंबर करने का आश्वासन दिया। शाम पांच बजे तक अभिभावकों ने अपने सवाल और सुझाव रखे। 

हर तीसरे माह चालक-परिचालकों की होगी काउंसलिंग

बैठक में एक अभिभावक ने चालक-परिचालकों समेत स्कूल में कार्यरत कर्मियों के लिए प्रत्येक तीन माह में एक ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाने की बात की। उन्होंने बताया कि ऐसे लोगों को प्रशिक्षण देकर उनकी कमियां दूर की जा सकती हैं। प्रधानाचार्या ने बताया कि पहले छह माह से एक वर्ष में तीन दिन का प्रशिक्षण होता था अब इसे और जल्दी कराया जाएगा। 

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