जनसंख्या नियंत्रण संबंधित याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस

दिल्ली उच्च न्यायालय ने जनसंख्या नियंत्रण और सरकारी नौकरी के लिए अधिकतम दो बच्चों के नियम को लागू करने के एनसीआरडब्ल्यूसी पर बुधवार को केंद्र सरकार से जवाब मांगा;

Update: 2019-05-29 15:06 GMT

नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने जनसंख्या नियंत्रण और सरकारी नौकरी, सुविधा और सब्सिडी के लिए अधिकतम दो बच्चों के नियम को लागू करने के नेशनल कमीशन टू रिव्यू द वर्किं ग ऑफ द कॉन्स्टीट्यूशन (एनसीआरडब्ल्यूसी) के प्रस्ताव को लागू करने की मांग वाली एक याचिका पर बुधवार को केंद्र सरकार से जवाब मांगा है।

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेंद्र मेनन और न्यायमूर्ति ब्रजेश सेठी की खंडपीठ ने केंद्र को समन भेजा है और मामले की सुनवाई तीन सितंबर को सुनिश्चित की है।

अदालत अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें जनसंख्या नियंत्रण पर एनसीआरडब्ल्यूसी (न्यायमूर्ति वेंकटचलिया आयोग) की 24वीं अनुशंसा को लागू करने की संभावनाओं का पता लगाने के लिए केंद्र को निर्देश देने के लिए कहा गया है।

उपाध्याय ने अपनी याचिका में कहा है कि नागरिकों के शुद्ध हवा, पेयजल, स्वास्थ्य, शांतिपूर्ण नींद, आश्रय, जीविका और शिक्षा के अधिकार प्रभावी जनसंख्या नियंत्रण के बिना सुनिश्चित नहीं हो सकते।

याचिकाकर्ता ने यह कहते हुए वोट के अधिकार, चुनाव लड़ने और संपत्ति अर्जिज करने के अधिकार वापस लेने की मांग की कि सरकार ने एनसीआरडब्ल्यूसी के प्रस्तावों को लागू नहीं किया है।

उपाध्याय ने अदालत से केंद्र को जनसंख्या स्फोट के बारे में जागरूकता फैलाने और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग और गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले परिवारों को गर्भनिरोधक गोली, कंडोम और दवाइयां वितरित करने का निर्देश देने का आग्रह किया।

उन्होंने अदालत से विधि आयोग को भी तीन महीने के अंदर जनसंख्या स्फोट पर एक व्यापक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश देने का आग्रह किया।

उन्होंने कहा कि भारत में कृषि योग्य भूमि दुनिया में सिर्फ दो प्रतिशत और पेयजल सिर्फ चार प्रतिशत है, जबकि जनसंख्या 20 प्रतिशत है।

याचिकाकर्ता ने कहा, "जल, जंगल, जमीन, कपड़े और घर की कमी, गरीबी, रोजगार, भूख और कुपोषण जैसी कई समस्याओं की जड़ जनसंख्या स्फोट है।" उन्होंने कहा कि जनसंख्या स्फोट के कारण अपराध होते हैं।

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