जेवर एयरपोर्ट निर्माण के दौरान नहीं होगा जलदोहन
मांट नहर के पानी से एयरपोर्ट का निर्माण कार्य होगा इसके लिए सिंचाई विभाग से भी सहमति बन गई है, एयरपोर्ट के दायरे में आने वाले सभी प्रकार जलस्रोत संरक्षित रखे जाएंगे;
ग्रेटर नोएडा। नोएडा ग्रीन फील्ड इंटरनेशनल एयरपोर्ट के दौरान प्राकृतिक संपदा के साथ किसी प्रकार का छेड़छाड़ नहीं किया जाएगा। निर्माण के दौरान जलदोहन भी नहीं होगा।
मांट नहर के पानी से एयरपोर्ट का निर्माण कार्य किया जाएगा। इसके लिए सिंचाई विभाग से भी सहमति बन गई है। एयरपोर्ट के दायरे में आने वाले सभी प्रकार जलस्रोत संरक्षित रखे जाएंगे। पर्यावरण एनओसी को लेकर आपत्तियों के निस्तारण करते हुए इन सभी बिंदुओं पर सहमति दी गई है।
जेवर एयरपोर्ट निर्माण को लेकर केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय एनओसी मिलना रह गया है। एनओसी को लेकर पर्यावरण मंत्रालय ने 45 बिंदुओं पर आपत्ति मांगी थी। प्राधिकरण की तरफ से इन सभी आपत्तियों का निस्तारण कर दिया गया है।
आपत्तियों के निस्तारण में कहा गया कि जेवर एयरपोर्ट ग्रीन फील्ड है, इसलिए प्राकृतिक संपदा के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं किया जाएगा। एयरपोर्ट निर्माण के दौरान भूमिगत जल का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। निर्माण के लिए मांट नहर से 50 क्यूसेक पानी सिंचाई विभाग देगा।
इस पर सिंचाई विभाग ने सहमति दे दी है।
एयरपोर्ट निर्माण के लिए 22-88 केएलडी पानी की आवश्यकता पड़ेगी। निर्माण के लिए और पानी की आवष्यकता पड़ी तो ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण के एसटीपी से 23 एमएलडी पानी लिया जाएगा। एयरपोर्ट के दायरे में तीन माइनर आ रहे है। जिसमें ठसराना, रन्हेरा व दयानपुर माइनर शामिल है। तीनों माइनर को यथावत रखा जाएगा।
नहर से आसपास गांव में फसल की सिंचाई होती है। एयरपोर्ट का निर्माण होने पर सिंचाई का पानी एयरपोर्ट के निर्माण में इस्तेमाल किया जाएगा।
यानि एयरपोर्ट के निर्माण के जलस्रोत को बरकरार रखा जाएगा। नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड के सीईओ डा. अरूणवीर सिंह ने बताया कि एयरपोर्ट निर्माण के दौरान जितने पानी की आवश्यकता होगी उतना पानी मांट नहर से लिया जाएगा।
सिंचाई विभाग को इसका भुगतान किया जाएगा। सिंचाई विभाग की तरफ से आश्वासन दिया गया है कि नहर में पानी कम होने पर उसे बाहर से और छोड़ा जाएगा। निर्माण के दौरान किसी प्रकार का जलदोहन नहीं होगा।