नई दिल्ली : समागम लीला में गुरु गीता चंद्रन की प्रस्तुति ने दर्शकों को लुभाया
बीती शाम राजधानी दिल्ली के नृत्य प्रेमियों के लिए अदभुत अनुभव लेकर आई। नाट्य वृक्ष की संस्थापक और भरतनाट्यम;
नई दिल्ली। बीती शाम राजधानी दिल्ली के नृत्य प्रेमियों के लिए अदभुत अनुभव लेकर आई। नाट्य वृक्ष की संस्थापक और भरतनाट्यम की प्रसिद्ध नृत्यांगना पद्मश्री गुरु गीता चंद्रन ने इंडिया इंटरनेशनल सेंटर के सीडी देशमुख ऑडिटोरियम में 'समागम लीला के रूप में भरतनाट्यम पर अनूठी प्रस्तुति से दर्शकों को आह्लादित कर दिया।
यह एक आत्मकथात्मक प्रस्तुति थी, जिसमें उनके जीवन के विविध रूप देखने को मिले। श्री चैतन्य प्रेम संस्थान, वृंदावन के आचार्य श्रीवत्स गोस्वामी के शब्दों में भक्ति एवं समर्पण की इस विशेष प्रस्तुति का सार सुनना भी किसी सुखद अनुभव जैसा ही रहा।
भक्ति एक व्यापक शब्द है, जिसका सामान्य तौर पर अर्थ व्यक्तिगत समर्पण से लिया जाता है। 'समागम लीला के नाम से एकल भरतनाट्यम प्रस्तुति में गुरु गीता चंद्रन ने अलग-अलग भावों के जरिये यह दिखाया कि किस तरह बचपन से लेकर शास्त्रीय नृत्यांगना बनने तक पूरे जीवन में भक्ति ने उन पर प्रभाव डाला। भक्ति के कारण उनके जीवन को मिले नए आयाम की झलक भी इसमें स्पष्ट तौर पर दिखी।
प्रस्तुति की शुरुआत शिव श्लोक से हुई। दसार कृति, कबीर गान और संकीर्तन भी प्रस्तुति के अहम भाग रहे।
गुरु गीता चंद्रन एक विख्यात कलाकार हैं, जिन्होंने अपने गुरुओं से मिले ज्ञान को निखारते हुए नृत्य के प्रति अपने निजी विचारों को भरतनाट्यम में समाहित किया।
अपनी नृत्य प्रस्तुतियों में उन्होंने प्रसन्नता, सौंदर्य, मूल्यों, लोक कथाओं और आध्यात्मिकता को समाहित किया है। कई प्रसिद्ध स्कूलों, कॉलेजों के सलाहकार बोर्ड और भारत सरकार की समितियों में भी उन्हें स्थान दिया गया है।
नई दिल्ली में अपनी अकेडमी नाट्य वृक्ष के माध्यम से वह युवाओं को शिक्षा की सतत यात्रा के रूप में भरतनाट्यम की अपार क्षमताओं से परिचित करा रही हैं।
गुरु गीता चंद्रन को 2007 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। भरतनाट्यम के लिए उन्हें 2016 का प्रतिष्ठित राष्ट्रीय संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार भी मिला है।