प्रतिष्ठित कलाकारों की प्रतिमा स्थापित करने की है जरूरत : बिरजू महाराज

मशहूर कत्थक नर्तक बिरजू महाराज ने मांग की है कि भारत में भी विदेशों की तरह प्रसिद्ध कलाकारों की प्रतिमा स्थापित होनी चाहिये, जिससे आने वाली पीढ़ी उस कला एवं कलाकार को जान और समझ सके;

Update: 2018-02-09 14:52 GMT

नई दिल्ली। मशहूर कत्थक नर्तक बिरजू महाराज ने मांग की है कि भारत में भी विदेशों की तरह प्रसिद्ध कलाकारों की प्रतिमा स्थापित होनी चाहिये, जिससे आने वाली पीढ़ी उस कला एवं कलाकार को जान और समझ सके। उन्होंने कहा कि अमेरिका एवं अन्य देशों में भ्रमण के दौरान अक्सर देखा है कि किस तरह वहां विभिन्न क्षेत्रों में मुकाम हासिल किये शख्सियतों की प्रतिमा जगह-जगह लगाई गई है, जिससे लोग उन्हें आसानी से याद रखते हैं।

ऐसी ही व्यवस्था हमारे देश में भी करने की जरूरत है। बिरजू महाराज ने यह बात ठुमरी क्वीन गिरिजा देवी की याद में आयोजित कार्यक्रम बसंत उत्सव में कही। गौरतलब है कि भारतीय कला एवं संस्कृति को बढ़ावा देने वाली संस्था बेनू द्वारा दिल्ली के सत्य साई ऑडिटोरियम में बसंत उत्सव का आयोजन किया गया, जिसमें कई नामचीन कलाकारों ने शिरकत की। इस कार्यक्रम का आयोजन ठुमरी क्वीन गिरिजा देवी की याद में किया गया।

इस मौके पर कत्थक नृत्यांगना उमा शर्मा, शाश्वती सेन, साहित्य कला परिषद की उपसचिव सिंधु मिश्रा एवं पूर्वांचली लोक संगीत की विख्यात गायिका मालिनी अवस्थी ने ठुमरी क्वीन गिरिजा देवी के साथ संगीत प्रस्तुतियों एवं उनके व्यक्तिगत अनुभवों की चर्चा करते हुए कहा कि वह एक अनोखी शख्सियत थीं, और उनके सभी शागिर्दों का यह फर्ज है कि उनकी विधा को अपने प्रदर्शन के जरिये जीवित रखें।

बेनू संस्था द्वारा आयोजित इस वसंत उत्सव में ठुमरी क्वीन को याद करते हुए दिल्ली घराना से वायलीन वादक उस्ताद असगर हुसैन एवं मालिनी अवस्थी ने अपने चिर परिचित अंदाज़ में अपनी बेहतरीन प्रस्तुती देकर हॉल में उपस्थित दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसी तरह साथी कलाकार तबला वादक उस्ताद अख्तर हसन, पंडित राम कुमार मिश्रा एवं हारमोनियम में पंडित धरमदास मिश्रा ने भी खूब संगत की।  

इस अवसर पर मालिनी अवस्थी जो कि गिरिजा देवी से गंडा-बांध शिष्या के रूप में प्रशिक्षित हुई, ने कहा कि वह एक बेहतरीन गुरू माँ थी, जो हर परिस्थिति में अपने शिष्यों को निखरने का मौका देती थी। मालिनी ने कहा कि एक परफॉर्मर बनना आसान है मगर गुरू हर कोई नहीं बन सकता। ठुमरी क्वीन गिरिजा देवी की याद में आयोजित किये गये इस कार्यक्रम के लिये बेनू संस्था की अध्यक्ष पद्मजा चक्रवर्ती को बधाई देते हुए मालिनी ने कहा कि यह बहुत ही प्रशंसा का विषय है कि एक कलाकार होते हुए उन्होंने दूसरे कलाकारों की प्रतिभा को मंच पर लाने का अनूठा कार्य किया है।

गौरतलब है कि पद्मजा चक्रवर्ती क्लासिकल एवं सेमी क्लासिकल संगीत में माहिर कलाकार हैं एवं ठुमरी क्वीन गिरिजा देवी की प्रिय शिष्या रही हैं। उन्होंने एक साथ कई प्रदर्शन भी दिये हैं। अपनी गुरू की याद में वसंत उत्सव के आयोजन के बारे में पद्मजा कहती हैं कि यह हमारी गुरू को दी गई श्रद्धांजलि है। चाहे बात संगीत की हो या फिर ज़िन्दगी की, वह हमेशा एक गुरू और मार्गदर्शक के रूप में रहीं, और उनकी शागिर्द होने के नाते हमारा यह फर्ज है कि अपनी प्रस्तुतियों द्वारा हम उनकी सीख को ज़िन्दा रखें।

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