रियर एडमिरल वी. गणपति ने मिलिट्री इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के कमांडेंट का कार्यभार संभाला

भारतीय नौसेना के वरिष्ठ अधिकारी और प्रतिष्ठित फ्लैग ऑफिसर रियर एडमिरल वी. गणपति ने सैन्य प्रौद्योगिकी संस्थान के कमांडेंट के रूप में कार्यभार ग्रहण किया है;

Update: 2025-06-30 17:38 GMT

नई दिल्ली। भारतीय नौसेना के वरिष्ठ अधिकारी और प्रतिष्ठित फ्लैग ऑफिसर रियर एडमिरल वी. गणपति ने सैन्य प्रौद्योगिकी संस्थान के कमांडेंट के रूप में कार्यभार ग्रहण किया है। वह नई जिम्मेदारी के तहत थल सेना, नौसेना और वायु सेना के अधिकारियों को अत्याधुनिक सैन्य प्रौद्योगिकियों में तैयार करने के मिशन का नेतृत्व करेंगे।

इस प्रशिक्षण में आधुनिक युद्ध को नया रूप देने वाले विशिष्ट और उभरते क्षेत्रों पर नए सिरे से जोर दिया जाएगा। यह संस्थान हेडक्वार्टर इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ के अधीन भारत का प्रमुख त्रि-सेवा तकनीकी प्रशिक्षण केंद्र है। रियर एडमिरल वी गणपति ने मुख्यालय एकीकृत रक्षा स्टाफ के तहत पुणे स्थित सैन्य प्रौद्योगिकी संस्थान (एमआईएलआईटी) में कार्यभार संभाला है।

रियर एडमिरल वी गणपति की कमांडेंट के रूप में नियुक्ति ऐसे परिवर्तनकारी समय में हुई है, जब सशस्त्र बल तेजी से प्रौद्योगिकी संबंधी विकास कर रहे हैं। वे अब सेना, नौसेना, वायु सेना और भारत के मित्र देशों के मध्य-कैरियर अधिकारियों के प्रशिक्षण पर कार्य करेंगे। वह सैन्य अधिकारियों को अत्याधुनिक सैन्य प्रौद्योगिकियों में तैयार करने के मिशन का नेतृत्व कर रहे हैं।

उनका नेतृत्व संयुक्त तकनीकी शिक्षा में उत्कृष्टता के केंद्र के रूप में एमआईएलआईटी की भूमिका को और मजबूत करने के लिए तैयार है।

रियर एडमिरल गणपति का नौसेना करियर विविध और उल्लेखनीय रहा है। अपने अलग-अलग कार्यकालों में उन्होंने कई महत्वपूर्ण संचालनात्मक, स्टाफ और प्रशिक्षण से जुड़े पदों पर कार्य किया है। वे कॉलेज ऑफ डिफेंस मैनेजमेंट, नेशनल डिफेंस कॉलेज और डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज के पूर्व छात्र हैं।

अब वह सैन्य प्रौद्योगिकी संस्थान जैसे अग्रणी प्रशिक्षण संस्थान का नेतृत्व करेंगे। यहां इस संस्थान में थलसेना, नौसेना, वायुसेना तथा मित्र देशों के मध्य-स्तरीय अधिकारियों को अत्याधुनिक सैन्य तकनीकों का प्रशिक्षण दिया जाता है। उनका नेतृत्व सैन्य प्रौद्योगिकी संस्थान की भूमिका को संयुक्त तकनीकी शिक्षा के एक उत्कृष्ट केंद्र के रूप में और अधिक मजबूत करेगा। साथ ही, आधुनिक युद्ध की दिशा बदलने वाले नवीनतम और उभरते तकनीकी क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

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