दूसरे चरण के चुनाव में मुस्लिम मतदाताओं की भूमिका महत्वपूर्ण

राज्य विधानसभा के दूसरे चरण में संवेदनशील पश्चिमी उत्तर प्रदेश 67 सीटों पर आगामी 15 फरवरी को होने वाले चुनाव में मुस्लित मतदाता प्रत्याशियों के हार-जीत में निर्णायक साबित हो सकते है ।;

Update: 2017-02-13 15:27 GMT

लखनऊ। राज्य विधानसभा के दूसरे चरण में संवेदनशील पश्चिमी उत्तर प्रदेश 67 सीटों पर आगामी 15 फरवरी को होने वाले चुनाव में मुस्लित मतदाता प्रत्याशियों के हार-जीत में निर्णायक साबित हो सकते है । 

समाजवादी पार्टी -कांग्रेस गठबंधन, बहुजन समाज पार्टी(बसपा) और कुछ क्षेत्रों में राष्ट्रीय लोकदल अल्पसंख्यक के मतदाताअों का धुवीकरण अपनी पार्टी की ओर करने में जुटे है। वहीं दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) उम्मीद कर रही है कि मुस्लित मतदाओं के बंटने का फायदा उसे मिलगा।

इस चरण के चुनाव में कुछ सीटों पर मुस्लिस मतदाता 50 प्रतिशत के लगभग है। ऐसी सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं का रूझान किसी प्रत्याशी के भाग्य का फैसला करेगा। दूसरे चरण में 11 जिलों की राज्य विधानसभा की 67 सीटों पर मतदान आगामी 15 फरवरी को होगा। 

अमरोहा, मुरादाबाद, रामपुर, बरेली, बिजनौर तथा सहारनपुर की अधिकतर सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं की सख्या 30 प्रतिशत से अधिक है।  इस चरण में सम्भल, बदायूं, शाहजहांपुर, पीलीभीत और लखीमपुर -खीरी जिलों में भी मतदान होगा। इस जिलों में अल्पसंख्यक मतदाताअों का रूप अपनी पार्टी की ओर करने के लिये गैर-भाजपा दलों ने अलग से रणनीति बनायी है। 

दूसरे चरण के में बसपा ने जहां 26 मुस्लिम प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे है वही सपा-कांग्रेस गठबंधन ने 25 मुस्लिम प्रत्याशियों को टिकट दिया है। रालोद ने भी 13 मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में उतारे है। 15 सीटे ऐसी है जहां सपा-कांग्रेस गठबंधन, बसपा और रालोद ने मुस्लिम प्रत्याशियों को टिकट दिया है । 

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