मुलायम के नित नए बयान ही सपा के लिए हो रहे घातक
समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने इस विधानसभा चुनाव में जिस तरह का कन्फ्यूजन पैदा कर रखा है, उसे लेकर तरह-तरह के सवाल उठ रहे हैं। मुलायम सिंह यादव क्या जान-बूझकर ऐसा कर रहे हैं।;
रतिभान त्रिपाठी
लखनऊ, 3 फरवरी (देशबन्धु) : समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने इस विधानसभा चुनाव में जिस तरह का कन्फ्यूजन पैदा कर रखा है, उसे लेकर तरह-तरह के सवाल उठ रहे हैं। मुलायम सिंह यादव क्या जान-बूझकर ऐसा कर रहे हैं। क्या उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। क्या परिवार का ही कोई शख्स उन्हें ऐसे बयान देने के लिए मजबूर कर रहा है या फिर बेटे की सियासी गतिविधियों से क्षुब्ध होकर वह ऐसा कर रहे हैं। इस बात की चर्चा जोरों पर है।
छह दिनों के भीतर उनके तीन अलग-अलग बयान इन सवालों को लाजिमी बना रहे हैं और अब तो कार्यकर्ता कहने लगे हैं कि पार्टी को बाहरी विरोधियों की जरूरत कहां। घर भीतर से ही उठ रही विरोध की चिंगारी सपा को नुकसान पहुंचाने के लिए काफी है।
सपा मुखिया अखिलेश यादव के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती यही है कि वह घर का विरोध कैसे रोकें। हालात दिन ब दिन नियंत्रण से बाहर होते जा रहे हैं।
सपा-कांग्रेस गठबंधन से खफा मुलायम सिंह ने छह दिन पहले यह कहा कि यह गठबंधन समाजवादी पार्टी के लिए नुकसानदेह है और कांग्रेस को फायदा पहुंचाएगा। मैं इस समझौते के खिलाफ हूं। मैं कैम्पेन में भी हिस्सा नहीं लूंगा। मैं कार्यकर्ताओं से अपील करता हूं कि वो अलायंस के खिलाफ खड़े हों और जनता तक अपनी बात पहुंचाएं। इससे कार्यकर्ता असमंजस में पड़ गए। इसी का फायदा उठाकर कइयों ने अपना पर्चा भी भर दिया। कांग्रेस नेता सकते में आ गए कि वह गठबंधन मानें या नहीं।
कहा जाता है कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने इस बयान के बाद सपा के नए सुप्रीमो अखिलेश यादव से बात की। अखिलेश ने उनहें समझाया कि ऐसा कुछ नहीं है। वह अपने पिता से बात करेंगे। हालांकि रामगोपाल यादव ने यह कहते हुए मुलायम सिंह को महत्वहीन साबित करने की कोशिश की कि सपा का प्रचार कौन करता है, कौन नहीं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।
दो दिन बाद ही मुलायम ने नया बयान दिया कि मैं सपा के लिए प्रचार करूंगा। यह भी जोड़ा कि सपा तो अपने दम पर भी लड़ती तो चुनाव जीत जाती। इस अलायंस की तो जरूरत ही नहीं थी। अपने प्रचार करने की तारीख मुकर्रर करते हुए उन्होंने कहा कि 9 फरवरी से प्रचार पर निकलेंगे।
सपा नेताओं और कार्यकर्ताओं में उम्मीद जगी कि नेताजी की नाराजगी खत्म हो गई है।
इसी बीच जब शिवपाल सिंह यादव ने जसवंतनगर से परचा भरा तो वह अखिलेश यादव के खिलाफ सार्वजनिक रूप से भाषण दिया। उन पर तंज कसा और 11 मार्च के बाद नई पार्टी तक बनाने का एलान कर दिया। इस पर गुणा-भाग चलने लगा कि अब नेताजी क्या करेंगे या कहेंगे।
छठे दिन यानी आज मुलायम सिंह यादव का तीसरा बयान आया। वह बोले, मैं 9 फरवरी से जसवंतनगर से शिवपाल के लिए चुनाव प्रचार शुरू करूंगा, अखिलेश के लिए बाद में प्रचार करूंगा।
नए नए बयानों से कार्यकर्ता कहने लगे हैं कि अभी 9 फरवरी आई नहीं। पता नहीं मुलायम सिंह इस बीच क्या बयान दे दें।
समाजवादी पार्टी के विरोधी दल भाजपा, बसपा, रालोद, पीस पार्टी आदि मुलायम सिंह यादव के बयानों पर न केवल चटखारे ले रहे हैं वरन अखिलेश यादव के खिलाफ उन्हें हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं। इन बयानों पर जुमलेबाजी खूब हो रही है। विरोधियों ने एक से बढ़कर एक नारे गए़ लिए हैं।