एमएसएमई देश की आर्थिक रीढ़, 27.85 करोड़ लोगों को रोजगार मिला : जीतन राम मांझी

केंद्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) मंत्री जीतन राम मांझी ने मंगलवार को पटना में एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए अपने मंत्रालय के एक वर्ष पूरे होने और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार के 11 वर्षों की उपलब्धियों पर विस्तार से चर्चा की;

Update: 2025-06-11 09:15 GMT

पटना। केंद्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) मंत्री जीतन राम मांझी ने मंगलवार को पटना में एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए अपने मंत्रालय के एक वर्ष पूरे होने और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार के 11 वर्षों की उपलब्धियों पर विस्तार से चर्चा की। इस अवसर पर आभार व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने उन्हें एक महत्वपूर्ण और विजनरी मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी है। उन्होंने उस विश्वास पर खरा उतरने की कोशिश की है।

जीतन राम मांझी ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि हम अक्सर बड़े उद्योगों की ओर देखते हैं, लेकिन एमएसएमई क्षेत्र देश की रीढ़ है। यह न केवल देश की जीडीपी में 30 प्रतिशत योगदान देता है, बल्कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में इसका योगदान 35.4 प्रतिशत और कुल निर्यात में 46 प्रतिशत है। प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के तहत 30 लाख लोगों को रोजगार देने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। योजना के तहत लाभार्थियों को 15,000 रुपए तक के औजारों की किट मुफ्त में दी जाती है और 1 लाख रुपए तक का ब्याज मुक्त ऋण भी प्रदान किया जाता है।

उन्होंने आगे कहा कि अब तक 6 करोड़ 46 लाख एमएसएमई इकाइयों का पंजीकरण हो चुका है और इनके माध्यम से 27.85 करोड़ लोगों को रोजगार मिला है। यह आंकड़ा मंत्रालय की सामाजिक और आर्थिक प्रभावशीलता को दर्शाता है।

उन्होंने बिहार में मंत्रालय की उपलब्धियों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि बिहटा में टेक्नोलॉजी सेंटर का निर्माण लगभग पूरा हो चुका है और गया में भी एक और टेक्नोलॉजी सेंटर बन रहा है, जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री मोदी जुलाई में करेंगे। दोनों केंद्रों पर दो-दो सौ करोड़ रुपए की लागत आई है। इसके अलावा, मुजफ्फरपुर, सारण, रोहतास, राजगीर, पूर्णिया और दरभंगा जिलों में एक्सटेंशन सेंटर की स्थापना की जा रही है। इन केंद्रों के माध्यम से स्थानीय युवाओं को तकनीकी प्रशिक्षण और उद्यमिता के लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे।

उन्होंने आगे कहा कि बोधगया में खादी का बिहार का सबसे बड़ा शो-रूम खोला जाएगा, जो जुलाई महीने तक बनकर तैयार हो जाएगा। यह पहल न केवल खादी और ग्रामोद्योग को बढ़ावा देगी, बल्कि स्थानीय शिल्पकारों और कारीगरों को रोजगार भी प्रदान करेगी।

उन्होंने विशेष राज्य के दर्जे को लेकर कहा कि नीति आयोग की वर्तमान नीति के अनुसार अब किसी भी राज्य को विशेष दर्जा नहीं दिया जा सकता। बिहार को विशेष पैकेज के तहत जितनी सुविधाएं मिली हैं, उतनी विशेष दर्जा मिलने पर भी नहीं मिलतीं। उन्होंने इसे बिहार के विकास के लिए एक सकारात्मक कदम बताया। मंत्रालय ने दो पोर्टल, उद्यम और उद्यम विशिष्ट, शुरू किए गए हैं, जिनके माध्यम से नए उद्यमियों का आसानी से पंजीकरण हो सकता है। इससे स्वरोजगार की दिशा में तेजी आई है और युवाओं में उद्यमिता के प्रति रुचि बढ़ी है।

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