मप्र : टीकमगढ़ में कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज, कई घायल
मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के किसानों की समस्याओं को लेकर कांग्रेस ने मंगलवार को टीकमगढ़ में 'खेत बचाओ किसान बचाओ आंदोलन' का आयोजन किया;
टीकमगढ़। मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के किसानों की समस्याओं को लेकर कांग्रेस ने मंगलवार को टीकमगढ़ में 'खेत बचाओ किसान बचाओ आंदोलन' का आयोजन किया। जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपने जा रहे कांग्रेस कार्यकर्ताओं-किसानों और पुलिस के बीच झड़प हो गई।
पुलिस ने लाठीचार्ज और आंसूगैस का इस्तेमाल कर हालात को काबू में करने की कोशिश की। इस दौरान पथराव भी हुआ। इसमें कई कांग्रेस कार्यकर्ता व पुलिस जवान घायल हुए।
पूर्व मंत्री यादवेंद्र सिंह के आह्वान पर राजेंद्र पार्क क्षेत्र में 'खेत बचाओ किसान बचाओ' आंदोलन के तहत आमसभा का आयोजन किया गया। इस मौके पर नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की शिवराज सरकार किसानों के साथ बेईमानी कर रही है। प्रदेश के 51 जिलों में से आधे से अधिक जिले भयावह सूखे की चपेट में हैं, लेकिन सरकार अभी तक एक भी जिला, तहसील को सूखाग्रत घोषित नहीं किया।
उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार के दबाव के कारण सरकार किसानों की पीड़ा की अनदेखी कर रही है। भाजपा सरकार किसानों से किए गए वादों को पूरा न कर अब किसान और प्रदेश, दोनों के हितों की रक्षा कर पाने में असफल है।
आमसभा के बाद कांग्रेस कार्यकर्ता किसानों के साथ उनकी समस्या केा लेकर जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपने संयुक्त कार्यालय की ओर बढ़े। इस दौरान उनकी पुलिस से धक्का-मुक्की हुई।
पुलिस ने लाठीचार्ज के साथ आंसूगैस के गोले छोड़े। पानी की बौछारें चलाईं। इसी बीच कुछ लोगों ने पुलिस पर पथराव कर दिया। इसके चलते एक तरफ जहां कई कांग्रेस कार्यकर्ता घायल हुए, वहीं पुलिस जवानों को चोटें आईं।
पूर्व मंत्री यादवेंद्र सिंह का आरोप है कि पुलिस जवानों ने कार्यकर्ताओं और किसानों पर बर्बरता पूर्ण कार्रवाई की है। इसमें कई लोग घायल हुए हैं। पुलिस की इस कार्रवाई के खिलाफ कांग्रेस विरोध दर्ज कराएगी।
वहीं नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कांग्रेस और किसान आंदोलन पर लाठीचार्ज की कड़ी निंदा करते हुए कहा है कि शिवराज सरकार अब दमनकारी नीति अपना रही है। किसान अपने हक के लिए सड़क पर उतरे, यह अब किसान पुत्र मुख्यमंत्री को बर्दाश्त नहीं हो रहा।
उन्होंने कहा कि पूरे प्रदेश में किसान परेशान हैं, उनकी सुनवाई नहीं हो रही है और सबसे दुखद यह है कि इसके खिलाफ आवाज भी उठाने की इजाजत प्रदेश में नहीं है।