विधानसभा का मानसून सत्र आज से, सपा विधायक पैदल मार्च कर पहुँचेंगे विधान भवन

उत्तर प्रदेश की विधान सभा का मानसून सत्र सोमवार से प्रारंभ हो रहा है। मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) ने महँगाई और बेरोज़गारी सहित अन्य मुद्दों को हंगामेदार तरीक़े से उठाने की तैयारी की है;

Update: 2022-09-19 10:46 GMT

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की विधान सभा का मानसून सत्र सोमवार से प्रारंभ हो रहा है। मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) ने महँगाई और बेरोज़गारी सहित अन्य मुद्दों को हंगामेदार तरीक़े से उठाने की तैयारी की है, वहीं सत्तापक्ष ने कहा है कि विपक्ष मुद्दाविहीन है इसलिए विरोधी दलों ने सदन को सुचारू रूप से नहीं चलने देने की योजना बनायी है।

सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले सपा के विधायक पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के नेतृत्व में सपा कार्यालय से पैदल मार्च कर विधानसभा पहुंचेंगे।

सपा कार्यालय से दी गई जानकारी के मुताबिक़ पार्टी विधायक सुबह 9.45 बजे अखिलेश यादव के नेतृत्व में पैदल मार्च कर विधानसभा कूच करेंगे। इस दौरान पैदल मार्च में विधायकों के हाथों में तख्तियां होंगी। जिन पर बेरोजगारी, महंगाई, महिला शोषण,कानून व्यवस्था की बदहाली, शिक्षा, स्वास्थ्य के क्षेत्र में गड़बड़ी का उल्लेख करने वाले नारे लिखे होंगे।

ग़ौरतलब है कि रविवार को विधान सभा अध्यक्ष सतीश महाना की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक में सभी दलो से सदन की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाने में मदद की अपील की गई थी। सत्तारूढ़ भाजपा के सहयोगी दलों की बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सरकार के मंत्रियों से विपक्ष के हर मुद्दे का तार्किक उत्तर देने की तैयारी करके सदन में आने को कहा था। उन्होंने आगाह किया की विपक्ष मुद्दाविहीन है इसलिए सदन में शोरशराब कर व्यवधान डालने की कोशिश की जा सकती है। उन्होंने इसके मद्देनज़र मंत्रियों से पूरी तैयारी के साथ सदन में आने की अपील की।

इस बीच सपा गठबंधन से अलग हुए सुभासपा ने इस सत्र में अपनी रणनीति पर विचार मंथन शुरू कर दिया है। विधान सत्र शुरू होने से पहले सुभासपा के विधायको की बैठक सोमवार को पार्टी अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने बुलायी है। राजभर ने बताया कि विधान सत्र में उनके विधायक भूमाफिया, बेरोजगारी व कानून व्यवस्था का मुद्दा उठाएँगे।

ग़ौरतलब है कि 23 सितंबर तक चलने वाले मानसून सत्र में एक दिन महिला सदस्यों के लिए आरक्षित रखा गया है। इस अनूठी पहल के तहत 22 सितंबर को सिर्फ़ महिला सदस्य ही दोनो सदनों में बोलेंगी।

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