लोकतंत्र को कमजोर बना रही मोदी सरकार
महामारी की वजह से कई महीनों से देश का कामकाज ठप पड़ा है. ना संसद चल रही है और ना ही समितियों की बैठक हो रही है. इसे लेकर ही चिंता बनी हुई है कि आखिर कैसे चलेगा देश…इसी बीच पूर्व जज जस्टिस एपी शाह ने भी मोदी सरकार पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने सरकार को घेरने के साथ ही ऐसी बात बोल दी जो सरकार को चुभ सकती है;
जब देश में सारे काम ऑनलाइन हो सकते हैं तो फिर संसद क्यों नहीं चल सकती…मोदी सरकार हर वक्त केवल डिजिटलाइजेशन को बढ़ावा देती है, तो फिर संसद को चलाने पर विचार क्यों नहीं करती है…कब तक इंतजार की घड़ियां गिनती रहेगी…आखिर मोदी सरकार बिना संसद चलाए देश कैसे चला रही है..ये सवाल कई बार देश की जनता भी उठा चुकी है. विपक्षी पार्टियां भी उठा चुकी हैं…और अब पूर्व जज जस्टिस एपी शाह ने भी इन्हीं सवालों के जरिए मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा किया है. उन्होंने कहा कि संसद का बजट सत्र जनवरी में हुआ था. उसके बाद महामारी के कारण यह फ़ैसला लिया गया कि संसद को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किया जाएगा... लेकिन इस संकट के वक़्त भी कई दूसरे देशों में हमने संसद को काम करते देखा है. कनाडा और ब्रिटेन जैसे देशों की संसद ने अपने काम करने के तरीक़ों में बदलाव करते हुए वीडियो कॉन्फ्रेंस के ज़रिए सत्र आयोजित किए हैं. कुछ देशों में इंटरनेट के माध्यम से वोट करके यह भी निश्चित किया गया है कि संसद की कार्यवाही चलती रहे. मालदीव में एक सॉफ़्टवेयर की मदद से वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग कर संसद का काम चल रहा है. वहां के स्पीकर ने कहा है कि संसद अपने लोगों का प्रतिनिधित्व करना कभी ख़त्म नहीं कर सकती फिर चाहे महामारी का वक़्त ही क्यों न हो….विदेशों का उदहारण देते हुए जस्टिस एपी शाह ने मोदी सरकार को घेरते हुए कहा कि इस तरह की सोच हमारे सांसदों में नहीं दिखाई पड़ रही है. मार्च के बाद से संसद को बंद रखने का जो निर्णय लिया गया था वो अभी तक जारी रखा गया है. जंग के वक़्त भी संसद की कार्यवाही चलती रही है. 2001 के वक्त भी अगले ही दिन संसद की कार्यवाही चली थी…ऐसा नहीं है कि भारत के अंदर इंटरनेट की मदद से संसद काम नहीं कर सकती है. यहां भी सांसद मिलकर ऑनलाइन संसद की कार्यवाही चला सकते हैं..उन्होंने कहा कि भारत की संविधान सभा जिसने संविधान बनाया था, उसे डर था कि सरकार को सारी ताक़त दे दी जाए तो वो एक तानाशाह के रूप में तब्दील हो जाएगी. इसलिए इस तरह की व्यवस्था बनाई गई कि सरकार, संसद के प्रति जवाबदेह होगी…लेकिन मोदी सरकार को अब मनमाने तरीके से काम करने की छूट मिली हुई है. उसके खिलाफ सवाल उठाने का कोई भी संस्थागत तरीका अब नहीं है…इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि देश की ऐसी स्थिति में लोकतंत्र कमजोर होता जा रहा है. अब हर तरफ से सरकार के खिलाफ आवाज उठाई जा रही है. हर कोई सरकार पर लोकतंत्र खत्म करने का आरोप लगा रहा है. जिसके बाद देश के भविष्य पर सवाल खड़ा होता है.