इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय, स्टार्टअप हब और मेटा स्टार्टअप को गति देने के लिए करेगा सहयोग
मेटा के सहयोग से इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय स्टार्टअप हब (एमएसएच) पूरे भारत में एक्सआर प्रौद्योगिकी स्टार्टअप को समर्थन और गति प्रदान करने के लिए एक कार्यक्रम लॉन्च करेगा;
नई दिल्ली। मेटा के सहयोग से इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय स्टार्टअप हब (एमएसएच) पूरे भारत में एक्सआर प्रौद्योगिकी स्टार्टअप को समर्थन और गति प्रदान करने के लिए एक कार्यक्रम लॉन्च करेगा। इकी घोषणा 13 सितंबर को की जाएगी। इलेक्ट्रानिक्स एवं आईटी मंत्रालय के मुताबिक यह सहयोग, उभरती और भविष्य की प्रौद्योगिकियों में कुशलता बढ़ाने के सरकार के प्रयासों का हिस्सा है। मंत्रालय के मुताबिक बड़ी संख्या में रचनाकारों, डेवलपर्स की मौजूदगी और एक जीवंत प्रौद्योगिकी इकोसिस्टम के साथ भारत मेटावर्स में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए विशिष्ट स्थिति में है। दुनिया डिजिटल उत्पादों की अधिक मांग को पूरा करने की ²ष्टि से आपूर्ति प्रौद्योगिकी, नवाचार और उभरती प्रतिभाओं के लिए भारत की ओर देख रही है।
इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय की एक पहल - इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय स्टार्टअप हब - एक राष्ट्रीय प्लेटफार्म है, जो प्रौद्योगिकी नवाचार, स्टार्ट-अप और बौद्धिक संपदा के निर्माण को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।
इसे लगभग 3000 से अधिक प्रौद्योगिकी स्टार्टअप का समर्थन है, जिसे अगले तीन से पांच वर्षों में बढ़ाकर दस हजार से अधिक स्टार्टअप करने का लक्ष्य है।
यदि तकनीक पर आधारित शिक्षा की बात करें तो वेब 3.0, ब्लॉकचेन, क्रिप्टो करेंसी, मेटावर्स और एनएफटी' टेक्नोलॉजी पर आधारित ऐसे पाठ्यक्रम हैं जो सीधे-सीधे भारत ही नहीं बल्कि विश्व भर के छात्रों के भविष्य पर फोकस करते हैं। भारत में ऐसे शैक्षणिक कार्यक्रमों को उद्योग जगत के प्रमुख भागीदारों व भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) के साथ मिलकर विकसित किया जा रहा है।
न्यू ऐज टेक्नोलॉजी आधारित विभिन्न पाठ्यक्रमों को पूरा करने वाले छात्रों को आईआईटी रोपड़, आईआईटी दिल्ली, आईआईटी रुड़की जैसे संस्थान सर्टिफिकेट जारी कर रह हैं। टेक्नोलॉजी आधारित पाठ्यक्रमों को डिजाइन करने और इनकी ट्रेनिंग में भी आईआईटी फैकेल्टीज की भूमिका है।
टेक्नोलॉजी के पक्ष को उजागर करते हुए फिक्की - ईवाई की 2022 की रिपोर्ट ने वेब3.0 टेक्नोलॉजी को इंटरनेट के लिए गेम चेंजर का नाम दिया गया है। यह 2032 तक भारत की जीडीपी में लगभग 1.1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर जोड़ सकता है। इसमें इस बात का भी जिक्र किया गया है कि आने वाले समय में मेटावर्स काफी विकसित होगा, कई तरह के बदलावों की अगुवाई करेगा, उपभोक्ताओं के अनुभव को बेहतर बनाएगा तथा 2025 तक इस क्षेत्र में 50 मिलियन से अधिक अवतार होंगे।