खान घोटाले में निरस्त खानों का पुन आवंटन नहीं किया गया: सुरेन्द्र पाल
राजस्थान के खान मंत्री सुरेन्द्र पाल सिंह टीटी ने स्पष्ट किया कि खान घोटाले में निरस्त की गयी खानों का पुन आवंटन नही किया गया है ।;
जयपुर। राजस्थान के खान मंत्री सुरेन्द्र पाल सिंह टीटी ने स्पष्ट किया कि खान घोटाले में निरस्त की गयी खानों का पुन आवंटन नही किया गया है और सरकार का खानों का आवंटन में पारदर्शिता लाने के लिये ई-आॅक्सन व्यवस्था लागू की जायेगी।
टीटी ने आज राजस्थान विधानसभा में प्रश्नकाल में कांग्रेस के उप सचेतक रमेश मीणा द्वारा किये गये सवाल का जवाब देते हुये कहा कि राज्य सरकार ने आवंटित की गयी 740 खानो का आवंटन निरस्त कर दिया है।
मंत्री के जवाब से असंतुष्ट कांग्रेस के मीणा ने कहा कि राज्य सरकार ने बगैर विधिक राय के केन्द्र खान विभाग को किस आधार पर अनुशंसा की गयी है उन्होंने कहा कि इस संबंध में किसी तरह की जानकारी विधायकों को भी नही दी गयी।
इस पर मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने इन खानों के बारे में पांच सदस्यीय एक उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट के आधार पर पूरे मामले की पैरवी की है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में एटार्नी जनरल, और राज्यपाल के माध्यम से लोकायुक्त में भी मामला भेजा गया था।
मंत्री के जवाब से असंतुष्ट कांग्रेस के श्री मीणा सहित गोविंद डोटासरा एवं अन्य ने निरस्त खानों के आवंटन के मुद्दे को उठाते हुये कहा कि राज्य सरकार अपने भ्रष्टाचार को दबाने में लगी हैं।
कांग्रेसी सदस्यों के आरोपों से उत्तेजित सत्ता पक्ष के सदस्यों ने भी इसका विरोध किया।
आसन की ओर से कांग्रेस के डोटासरा को बाेलने की अनुमति नही देने और उनकी टिप्पणियों को अंकित नही करने के निर्देश से क्षुब्ध कांग्रेसी सदस्य वैल में आ गये और जोर -जोर से बोलने लगे।
प्रतिपक्षी सदस्यों ने कहा कि सदन में अपनी बात रखने का प्रतिपक्ष को अधिकार है और आसन की ओर से मूल प्रश्नकर्ता को ही प्रश्न करने की इजाजत नही दी जा रही है जो किसी भी तरह से उचित नही हैं।
इस मुद्दे को लेकर विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल और प्रतिपक्ष के सदस्यों के बीच नोकझोंक भी हुयी। मेघवाल ने कहा कि सदन उनके निर्देशों पर ही चलेगा। इसी बीच खान मंत्री ने 2011 में एसीबी की रिपोर्ट का हवाला देते हुये कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री की कार्यशैली के कारण ही खान घोटाला हुआ है।
उन्होंने कांग्रेस पर भ्रष्टाचार की जननी का आरोप लगाते हुये कहा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री ने अपराधियों को बचाने का काम किया है। इस पर सदन में जोरदार हंगामा हुआ।