कांग्रेस की डॉक्यूमेंट्री में राहुल से प्रवासियों ने कहा, 'झेल रहे अपार कष्ट'

पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शनिवार को प्रवासी श्रमिकों की दुर्दशा पर बात करते हुए कहा कि कोरोनावायरस महामारी के चलते सबसे बुरी हालत इन्हीं लोगों की हुई;

Update: 2020-05-23 13:50 GMT

नई दिल्ली । पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शनिवार को प्रवासी श्रमिकों की दुर्दशा पर बात करते हुए कहा कि कोरोनावायरस महामारी के चलते सबसे बुरी हालत इन्हीं लोगों की हुई है। राहुल ने एक डॉक्यूमेंट्री जारी की, जिसमें हरियाणा से उत्तर प्रदेश के झांसी वापस लौटे प्रवासी श्रमिकों के साथ उन्होंने बातचीत की है।

केरल के वायनाड से लोकसभा सांसद राहुल ने 15 मई को राष्ट्रीय राजधानी में दक्षिण पूर्वी दिल्ली में सुख देव विहार फ्लाईओवर के पास प्रवासी मजदूरों से मुलाकात की थी। 16 मिनट की इस डॉक्यूमेंट्री को कांग्रेस के यूट्यूब चैनल पर रिलीज किया गया है।

डॉक्यूमेंट्री के रिलीज होने से पहले राहुल गांधी ने ट्विटर पर कहा, "झांसी के पास अपने कस्बों में घर वापसी को लेकर यहां घूम रहे इन भाइयों और बहनों से मैं कुछ दिन पहले ही मिला। मेरे यूट्यूब चैनल पर आज सुबह 9 बजे उनके धैर्य, ²ढ़ संकल्प और आत्म निर्भरता की कहानी देखते हैं।"

कुछ दिन पहले, इन मजदूर भाई-बहनों से भेंट हुई जो हरियाणा से सैकड़ों किमी दूर यूपी के झांसी में अपने गाँव पैदल ही जा रहे थे। आज सुबह 9 बजे इनके धैर्य, दृढ़ संकल्प और आत्मनिर्भरता की अविश्वसनीय कहानी मेरे YouTube चैनल पर देखिए। https://t.co/3FJjMvwxow pic.twitter.com/2OBs0WzcuG

— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) May 23, 2020

डॉक्यूमेंट्री में कांग्रेस नेता को प्रवासी कामगारों के साथ सड़क पर बैठकर उनसे बात करते हुए देखा जा सकता है। प्रवासी कामगारों की कहानी सुनाते हुए राहुल गांधी ने कहा, "कोरोना ने बहुत से लोगों को चोट पहुंचाई है, लेकिन सबसे ज्यादा नुकसान सैकड़ों किलोमीटर तक सड़कों पर चलेने वाले मजदूरों को हुआ है।"

उन्होंने आगे कहा, "वे खाली पेट चले, उन्हें पीटा और धमकाया गया लेकिन फिर भी वे नहीं रुके और अपने घरों की ओर आगे चलने में कामयाब रहे। मैं आपको दिखाना चाहता हूं कि उनकी आशंकाएं, उनकी आकांक्षाएं और उनका भविष्य कैसा है और वे इसके बारे में क्या महसूस करते हैं।"

कांग्रेस के पूर्व प्रमुख के साथ बातचीत के दौरान झांसी के एक प्रवासी वर्कर महेश ने अपनी परेशानियों का वर्णन करते हुए कहा कि 120 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर चुका उनका यह समूह पिछले एक दिन से चल रहा है। वे बिना किसी सरकारी समर्थन और सहायता के अपने मूल स्थान पर वापस जा रहे हैं।

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