किसान नेताओं की पदाधिकारियों के साथ बैठक, खेतीबाड़ी-आंदोलन के बीच तालमेल पर हुई चर्चा

कृषि कानून के खिलाफ आंदोलन लगातार आगे की ओर बढ़ता जा रहा है, गाजीपुर बॉर्डर पर सोमवार को किसान नेताओं ने अपने संगठन के पश्चिमी उत्तर प्रदेश के छह मंडलों की बैठक ली;

Update: 2021-04-12 22:38 GMT

गाजीपुर बॉर्डर। कृषि कानून के खिलाफ आंदोलन लगातार आगे की ओर बढ़ता जा रहा है, गाजीपुर बॉर्डर पर सोमवार को किसान नेताओं ने अपने संगठन के पश्चिमी उत्तर प्रदेश के छह मंडलों की बैठक ली। बैठक के दौरान मंडल, जनपद, तहसील और ब्लॉक स्तर के पदाधिकारी के मौजूद रहे। बैठक में भाकियू नेता राकेश टिकैत ने भारतीय किसान यूनियन के पदाधिकारियों से खेतीबाड़ी और आंदोलन के बीच तालमेल बनाने को लेकर विस्तार से चर्चा की और अपने नंबर-बारी से आंदोलन में उपस्थित रहने के निर्देश दिए।

दूसरी ओर इस बैठक में पदाधिकारियों ने संकल्प लिया कि तीन कानूनों की वापसी और एमएसपी पर कानून बनाए जाने तक लड़ाई जारी रखेंगे।

किसान नेता टिकैत ने कहा कि, "कोविड के चलते ज्यादा लोगों को एक साथ बुलाना ठीक नहीं था, इसलिए चरणवार बैठकें करने का निर्णय लिया गया है। सोमवार को पहले चरण में छह मंडलों की बैठक बुलाई गई थी, आगे अन्य मंडलों पदाधिकारी भी आंदोलन स्थल पर पहुंचेंगे।"

बैठक में प्रदेश अध्यक्ष राजवीर सिंह जादौन, भाकियू मीडिया प्रभारी धर्मेंद्र मलिक और रमेश मलिक के अलावा छह मंडलों के अध्यक्ष, जिलाध्यक्ष और तहसील व ब्लॉक पदाधिकारी मौजूद रहे।

भाकियू के पदाधिकारियों को किसान नेताओं ने निर्देश दिए हैं कि लंबे आंदोलन की तैयारी रखो। जैसे कोविड प्रोटोकॉल को अपनी आदत में शुमार करने के जरूरत है वैसे ही आंदोलन को भी आदत में शुमार कर लो।

भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष राजवीर सिंह जादौन ने बताया कि, "खेत में फसल कटाई का काम चल रहा है, पंचायत चुनाव भी हैं और आंदोलन भी चल रहा है। इन तीनों मामलों में तालमेल के लिए मीटिंग ली गई। आगरा, अलीगढ़, मेरठ, सहारनपुर, मुरादाबाद और बरेली मंडलों की पदाधिकारी बैठक में मौजूद रहे।"

जादौन ने आगे बताया कि, "भारतीय किसान यूनियन की ओर से पर्चे छपवाए गए हैं जो गांव-गांव भेजे जाएंगे। इनमें कृषि कानूनों के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाएंगी।"

"भाजपाईयों ने गांव-गांव जाकर कृषि कानूनों की जानकारी देने की बात कही थी, लेकिन अन्य बातों की तरह भाजपा की यह बात ढकोसला ही निकली। हम तो इस इंतजार में थे कि भाजपाई ही कानूनों के बारे में गांव-गांव जाकर बताएं।"

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