गोरखपुर मामला सामूहिक हत्याकांड: शिवसेना

शिवसेना ने गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में कथित रूप से ऑक्सीजन आपूर्ति रुकने से बड़ी संख्या में बच्चों की हुई मृत्यु को ‘सामूहिक हत्याकांड’ करार देते हुए केन्द्र और राज्य सरकार पर निशाना साधा है;

Update: 2017-08-14 15:06 GMT

मुंबई। केन्द्र में सहयोगी शिवसेना ने गोरखपुर के बाबा राघव दास(बीआरडी) मेडिकल कॉलेज में कथित रूप से ऑक्सीजन आपूर्ति रुकने से बड़ी संख्या में बच्चों की हुई मृत्यु को ‘सामूहिक हत्याकांड’ करार देते हुए केन्द्र और राज्य सरकार पर निशाना साधा है।

पार्टी के मुख पत्र ‘सामना’ के संपादकीय में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा है कि यह मौत नहीं अपितु बाल हत्याकांड का मामला है। शुक्रवार को इस कथित घटना में ऑक्सीजन आपूर्ति रुकने से 30 से अधिक बच्चों की मृत्यु हो गयी। इसे लेकर केन्द्र सरकार विपक्षी दलों के निशाने पर है और अब सहयोगी शिवसेना ने भी सरकार को घेरा है। इस घटना के बाद केन्द्र और राज्य सरकार दोनों हरकत में आयी हैं।

केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जे पी नड्डा, स्वास्थ्य राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत कई विपक्षी दलों के नेताओं एवं वरिष्ठ अधिकारियों ने अस्पताल का दौरा किया। इस मामले में संज्ञान लेते हुए कॉलेज के प्राधानाचार्य और एक डाक्टर काे निलंबित करने के साथ ही मजिस्ट्रेट से जांच के आदेश दिये जा चुके हैं।

संपादकीय में गोरखपुर की घटना को स्वतंत्रता दिवस का अपमान बताते हुए शिवसेना ने कहा है कि यदि उत्तर प्रदेश मेंं किसी अन्य दल की सरकार होती तो केन्द्र उसके खिलाफ कदम उठाता। पार्टी ने गोरखपुर घटना पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हर माह आकाशवाणी के जरिये ‘मन की बात’ का मजाक उड़ाते हुए लिखा है कि गरीबाें के दु:ख से नेताओं से कोई लेना-देना नहीं है। यही हमारी स्वतंत्रता की विफलता है। यह दर्द और वेदना ही गरीबों के ‘मन की बात’ है। उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने घटना के बाद बीआरडी कॉलेज का मुआयना करने के उपरांत संवाददाताओं से कहा था कि पिछले कुछ वर्षों से अगस्त माह के दौरान मृत्यु अधिक हुई हैं।

शिवसेना ने श्री सिंह के इस बयान पर कड़ी टिप्पणी करते हुए सवाल किया कि अगस्त में केवल गरीब के बच्चे ही क्यों करते हैं, अमीरों के बच्चे क्यों नहीं मरते ? संपादकीय में प्रधानमंत्री को भी निशाने पर रखा गया। मुख पत्र में मोदी पर तीखा हमला करते हुए कहा गया है कि सरकार ने कम से कम बच्चों की मौत हुई इसको माना। यही काफी है। नहीं तो वह कहते कि बच्चों ने केवल सांस लेना बंद किया है और लाल किले से स्वतंत्रता दिवस का भाषण सुनने के बाद बच्चे सांस लेना शुरू कर देंगे।

सामना में लिखा गया है कि केन्द्र में परिवर्तन आने से पहले अच्छे दिन लाने का वादा किया गया था लेकिन अस्पतालों की जो स्थिति है, वह लोगों की बदकिस्मती है,क्योंकि अस्पतालों में जो सुविधाएं उपलब्ध हैं, ऐसे सुविधाओं से तो यही माना जा सकता है कि गरीबों के लिये अस्पतालों के अच्छे दिन नहीं आये।

मुख पत्र में कहा गया है, “ गरीबों का दु:ख उनकी वेदना और उनकी मन की बात को समझने के बजाय उनकी वेदनाओं की खिल्ली उड़ायी जा रही है, जो हुआ है उसका जिम्मेदार कौन है।” 
 

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