कई बड़ी मछलियों की गर्दन फंसी

यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण में बसपा-सपा शासन काल में भूमि खरीद की हुई घोटालों की जांच पूरी हो चुकी है;

Update: 2017-11-07 15:14 GMT

ग्रेटर नोएडा।  यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण में बसपा-सपा शासन काल में भूमि खरीद की हुई घोटालों की जांच पूरी हो चुकी है। तीनों की घोटालों की अलग-अलग अधिकारियों से जांच कराई गई। जांच के दौरान तीनों भूमि घोटालों में ऐसे कुछ नाम सामने आ रहे है जिन्होंने मथुरा के सात गांव, जहांगीरपुर, मास्टर प्लान से करीब 22 गांव के जमीन खरीद में शामिल है।

जांच के दौरान कुछ ऐसे बड़ी मछलियों का नाम सामने आ रहा जो प्राधिकरण मे तैनात रहे अधिकारियों व सपा व बसपा नेताओं के रिश्तेदार, करीब  है। यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण के चेयरमैन मंडलायुक्त प्रभात कुमार ने तीनों जांच रिपोर्ट को मिलान करके ऐसे लोगों का नाम खुलासा करने के लिए जांच अधिकारियों से कहा जिन लोगों का तीनों घोटालों में नाम शामिल है। साथ ही उन अधिकारियों के नाम का भी खुलासा किया जाएगा जिनके करीबी व रिष्तेदारों ने जमीन खरीदी है। इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच की सिफारिश में प्रदेश सरकार से की जा सकती है। 

यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष डा. प्रभात कुमार ने सपा शासन काल में जहांगीपुर 765 केवी बिजली सब स्टेशन के लिए जमीन खरीदने की जांच का आदेष दिया था। आरोप लगा था कि प्राधिकरण के तत्कालीन अधिकारियों व सपा नेताओं ने जहांगीरपुर में किसानों से कौड़ियों के भाव जमीन खरीद कर एक माह के अंदर उसी जमीन का सोने के भाव यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण के नाम सीधे रजिस्ट्री कर दी थी। अध्यक्ष ने इसकी जांच प्राधिकरण के एसीईओ अमर नाथ उपाध्याय को दी थी। बाद में जांच ओएसडी शैलेंद्र भाटिया को सौंपी दी थी। इसी तरह यमुना एक्सप्रेस-वे में बसपा-सपा शासन काल में 15 गांवों में मास्टर प्लान से बाहर की जमीन खरीदने का आरोप लगा था।

अध्यक्ष डा. प्रभात कुमार ने इसकी जांच भी एसीईओ अमर नाथ उपाध्याय को सौंपी थी। जांच के दौरान 22 गांवों मेें मास्टर प्लान से बाहर जमीन खरीदने का खुलासा हुआ। जांच के दौरान पता चला कि इन गांवों में जमीन खरीदने कोई औचित्य नहीं था। नौकरशाह व नेताओं की सांठगांठ में सीधे जमीन प्राधिकरण ने खरीद थी। यहां तक उस जमीन का अतिरिक्त मुआवजा भी दे दिया। जबकि किसानों को आज तक अतिरिक्त मुआवजा नहीं मिल पाया। इसी तरह मथुरा के सात गांवों में भी जमीन खरीद का मामला सामने आया। इसकी जांच महाप्रबंधक नियोजन मीना भार्गव को दी गई थी।

जांच के दौरान खुलासा हुआ है कि कुछ लोगों ने किसानों से सस्ते दर में जमीन खरीदी और कुछ माह बाद उसी जमीन को प्राधिकरण के नाम सीधे रजिस्ट्री कर दी है। आश्चर्य की बात यह है कि सातों गांवों में अलग-अलग दर पर जमीन खरीदी गई है। एक सप्ताह के अंदर सात गांव में जमीन खरीदी गई और सातों में गांव में जमीन की कीमत अलग-अलग दी गई। जमीन भी टुकड़ों में खरीदी गई, जो कि प्राधिकरण के किसी औचित्य का नहीं था।

प्राधिकरण अध्यक्ष डा. प्रभात कुमार ने तीनों जमीन घोटालों की रिपोर्ट मिलने के बाद उसकी समीक्षा की तो पता चला कि तीनों घोटालों में कुछ ऐसे नाम शामिल है जिन्होंने जमीन खरीदी है, उनमें तत्कालीन प्राधिकरण के तैनात रहे एक अधिकारी के रिश्तेदार का नाम भी सामने आ रहा है।

जांच रिपोर्ट देखने के बाद अध्यक्ष ने जांच अधिकारियों को रिपोर्ट में उनका नामों का खुलासा करने को कहा जो जिनका नाम हर जमीन खरीद में शामिल है, साथ ही उन अधिकाारियों का नाम भी उजागर करने का कहा कि जिनके रिश्तेदार व सगे संबंधी का नाम इसमें शामिल है। डा. प्रभात कुमार ने बताया कि एक सप्ताह के अंदर पूरी जांच रिपोर्ट का खुलासा कर दिया जाएगा साथ ही इसमें गिरफ्तारी भी हो सकती है। इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच के लिए शासन से सिफारिश की जा सकती है।  

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