मध्य प्रदेश : शहडोल में कस्टम हायरिंग योजना किसानों के लिए बनी वरदान, छोटे किसानों का हो रहा सशक्तीकरण

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार द्वारा छोटे किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने और स्वरोजगार के अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से शुरू की गई सब-मिशन ऑफ एग्रीकल्चरल मेकेनाइजेशन कस्टम हायरिंग योजना ग्रामीण भारत में क्रांति ला रही है;

Update: 2025-05-03 23:28 GMT

शहडोल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार द्वारा छोटे किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने और स्वरोजगार के अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से शुरू की गई सब-मिशन ऑफ एग्रीकल्चरल मेकेनाइजेशन कस्टम हायरिंग योजना ग्रामीण भारत में क्रांति ला रही है। योजना के तहत किसानों को आधुनिक कृषि यंत्र उपलब्ध कराए जा रहे हैं, जिससे न केवल उनकी उत्पादकता बढ़ रही है, बल्कि यंत्रों को किराए पर देकर उनकी आय में भी वृद्धि हो रही है। इसके अतिरिक्त, सरकार द्वारा प्रदान की जा रही 40 प्रतिशत तक की सब्सिडी और तीन प्रतिशत तक की ब्याज छूट किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

यह योजना ग्रामीण युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करने और कृषि यंत्रीकरण को बढ़ावा देने के लिए डिजाइन की गई है। मध्य प्रदेश के शहडोल जिले के सहायक कृषि यंत्री आर.के. पयासी बताते हैं, "योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन और कृषि यंत्रीकरण को बढ़ावा देना है। योजना के तहत 18 से 40 वर्ष की आयु के 12वीं पास बेरोजगार किसान आवेदन कर सकते हैं। आवेदन कृषि अभियान संचालनालय की वेबसाइट के माध्यम से किया जाता है। लॉटरी प्रणाली के जरिए चयनित किसानों को सरकारी बैंकों से प्रोजेक्ट फाइनेंस कराना होता है। इसके बाद, भोपाल या बुदनी में पांच दिवसीय प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है, जिसमें कृषि यंत्रों के उपयोग की जानकारी दी जाती है। प्रशिक्षण के बाद किसान यंत्र खरीदते हैं, और भौतिक सत्यापन के पश्चात उन्हें अनुदान प्रदान किया जाता है। योजना के तहत अधिकतम 40 प्रतिशत सब्सिडी और कृषि अवसंरचना निधि के अंतर्गत तीन प्रतिशत ब्याज छूट दी जाती है। अनिवार्य यंत्रों में ट्रैक्टर, कल्टीवेटर, रोटावेटर, प्लाऊ और थ्रेशर शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, हैप्पी सीडर, सुपर सीडर, पैडी ट्रांसप्लांटर, रीपर, और कंबाइन (हार्वेस्टर) जैसे यंत्र भी खरीदे जा सकते हैं।"

पयासी के अनुसार, शहडोल जिले में अब तक 52 कस्टम हायरिंग केंद्र स्थापित किए जा चुके हैं। सरकार का लक्ष्य है कि प्रत्येक गांव में कृषि यंत्रीकरण को बढ़ावा मिले। इसके लिए हर साल उन गांवों में आवेदन आमंत्रित किए जाते हैं, जहां अभी तक केंद्र स्थापित नहीं हुए हैं। योजना का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि लाभार्थी किसान न केवल अपने लिए बल्कि गांव के अन्य किसानों के लिए भी यंत्र उपलब्ध कराएं, जिससे सामुदायिक लाभ हो। किराए से होने वाली आय से किसान बैंक ऋण चुका सकते हैं और अपना रोजगार बढ़ा सकते हैं।

शहडोल जिले के ग्राम नरगी की लाभार्थी सीमा बैगा ने बताया, "रेडियो के माध्यम से मुझे योजना की जानकारी मिली। मैंने एमपी ऑनलाइन के जरिए आवेदन किया और लॉटरी के जरिये मेरा चयन हुआ।" कृषि विभाग ने उन्हें पांच दिन की ट्रेनिंग दिलवाई। ट्रैक्टर, कल्टीवेटर और प्लाऊ जैसे यंत्र खरीदे, जिनके लिए उन्हें छह लाख 86 हजार रुपए की सब्सिडी मिली। पहले खेती में यंत्रों की कमी के कारण उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ता था, लेकिन अब आधुनिक यंत्रों के उपयोग से उनकी उत्पादकता बढ़ी है। इन यंत्रों को किराए पर देकर उनकी आय में भी वृद्धि हुई है। इस योजना ने उनका जीवन बदल दिया। इसके लिए उन्होंने मोदी सरकार का आभार जताया।

इसी तरह, ग्राम दुलहरा के नीरज सिंह परमार ने भी इस योजना का लाभ उठाया। उन्होंने बताया कि समाचार में जानकारी मिलने के बाद योजना के लिए आवेदन किया और सरकार द्वारा तय की गई ट्रेनिंग के बाद उन्होंने यंत्र खरीदे, जिसमें उन्हें आठ लाख रुपए की सब्सिडी भी मिलने वाली है। योजना से पहले खेती किसानी करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था, लेकिन आज उनका सारा कार्य समय पर हो रहा है। अब यंत्रों की मदद से काम समय पर हो रहा है। इन उपकरणों को किराए पर देने से उनकी आमदनी भी बढ़ी है। उन्होंने इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी का धन्यवाद किया।

Full View

Tags:    

Similar News