उपराज्यपाल ने प्रदूषण से निपटने के लिए दिए सख्त निर्देश
दिल्ली में अब क्षेत्रीय स्तर पर पर्यावरण कानूनों के कार्यान्वयन की जांच के लिए नगर पालिका के वार्डों में पर्यावरण मार्शल की तैनाती की जाएगी;
नई दिल्ली। दिल्ली में अब क्षेत्रीय स्तर पर पर्यावरण कानूनों के कार्यान्वयन की जांच के लिए नगर पालिका के वार्डों में पर्यावरण मार्शल की तैनाती की जाएगी। वायु प्रदूषण से मुकाबले के लिए दीर्घकालीन योजना के तहत सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को आरामदायक, विश्वसनीय बनाया जाएगा और अंतिम गंतव्य तक संपर्क का भी ध्यान रखा जाए। परिवहन विभाग बिजली से चलने वाली गाड़ियों को प्रोत्साहित करे। पीयूसी प्रमाणीकरण सख्ती से लागू किया जाए व वाहनों की भीड़ भाड़ को कम करने के लिए इंटैलिजेंट ट्रैफिक मैनेजमैंट सिस्टम स्थापित किया जाए साथ ही एक वर्ष के भीतर 40प्रतिशत मैकेनाइज्ड रोड स्वइपिंग की जाए क्योंकि अभी यह महज 15 प्रतिशत है।
दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने दिल्ली में वायू प्रदूषण से निपटने के उपायों पर यह निर्देश आठ माह और 16 माह के लिए लक्ष्य निर्धारित करते हुए दिए। बैठक में पर्यावरण मंत्री, इमरान हुसैन, दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव के अलावा सभी प्रमुख निकायों के अधिकारी मौजूद थे।
पर्यावरण सचिव ने उपराज्यपाल को दिल्ली में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए रचनात्मक योजना और नियामक योजना के बारे में जानकारी दी और कहा कि वायु प्रदूषण के विभिन्न स्रोतों से निपटने के लिए इस योजना को छह श्रेणियों में विभाजित किया गया है जिसमें वाहनों का प्रदूषण, सड़कों पर धूल, सैंट्रल वर्ज को हरित किया जाए, डीजल जनरेटर सैट और उद्योग, कचरा जलाना आदि शामिल हैं।
उपराज्यपाल ने निर्देश दिए कि इस योजना को सभी संबंधित एजेंसियों को दिया जाए ताकि इस संबंध में समय सीमा के साथ-साथ विस्तृत रोडमैप तैयार किया जा सके। उन्होंने जोर दिया कि परिवहन विभाग से संबंधित मुद्दों को लेकर एक अलग बैठक जल्द से जल्द की जाए और पड़ोसी राज्यों के एक्शन प्वाइंट भी शामिल किए जाएं। ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के बारे में स्थानीय निकायों द्वारा उपराज्यपाल को बताया कि वर्तमान में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन 10200 टीपीडी हैं जिसमें से 5400 टीपीडी प्रोसेस्ड होता है। उपराज्यपाल ने कहा कि100 प्रतिशत ठोस अपशिष्ट को एकीकृत किया जा रहा है कि नहीं यह जाचंने के लिए एक स्वतंत्र सत्यापन तंत्र स्थापित किया जाना चाहिए जोकि झोपड़ियों और जे जे कलस्टर जैसे गरीब समुदायों पर भी विशेष ध्यान दे।
उन्होंने कहाकि स्थानीय निकाय और शहरी विकास मंत्रालय को ठोस कचरे के उचित प्रबंधन और निपटारण करने के लिए आरडब्ल्यूए और मार्किट एशोसिएशन को जागरूक और शामिल करना चाहिए। साथ ही यह सुनिश्चित किया जाए कि सैनेटरी लैंडफिल पर आग न लगे। इस संबंध में उन्होंने आगे यह कहा कि स्थानीय निकाय लैंडफिल आग को बुझाने के लिए विशेष विशेषज्ञों को शामिल करें और अगले दो महीनों में इन विशेषज्ञों के साथ मिलकर इसको अंतिम रूप दें। उपराज्यपाल ने छह माह के भीतर सभी तीन सैनिटरी लैंडफिल साइट्स के रिमेडियेशन उपायों की शुरूआत की जानी चाहिए। उपराज्यपाल ने सभी एजेंसियों से आग्रह किया कि दिल्ली में वायु की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार के लिए मिशन.मोड के तहत कार्य करें।