दिवाली हुई और भी ग्लोबल, यूनेस्को ने विरासत सूची में किया शामिल

भारत के प्रमुख उत्सव दीपावली को बुधवार को यूनेस्को की मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची में शामिल किया गया। दिल्ली में लाल किले पर आयोजित बैठक में यह फैसला लिया गया।;

Update: 2025-12-10 08:53 GMT

नई दिल्ली। भारत के प्रमुख पर्व दीपावली को यूनेस्को की ‘अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची’ में आधिकारिक रूप से शामिल कर लिया गया है। खुद यूनेस्को ने बुधवार को इसकी घोषणा की। यूनेस्को की यह बैठक नई दिल्ली में आयोजित की जा रही है, जिसमें 78 देशों से आए दर्जनों नामांकनों पर विचार किया जा रहा है। दिवाली का चयन इस बात को दर्शाता है कि यह त्योहार विश्व स्तर पर अपनी सांस्कृतिक महत्ता और लोकाचार के कारण विशेष पहचान रखता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस घोषणा से सभी भारतीय खुश हैं। उन्होंने एक्स पर लिखा, 'भारत और दुनिया भर के लोग बहुत खुश हैं। हमारे लिए, दीपावली हमारी संस्कृति और मूल्यों से बहुत करीब से जुड़ी हुई है। यह हमारी सभ्यता की आत्मा है। यह रोशनी और सच्चाई का प्रतीक है। यूनेस्को की अमूर्त विरासत सूची में दीपावली के शामिल होने से इस त्योहार की ग्लोबल लोकप्रियता और भी बढ़ेगी। प्रभु श्री राम के आदर्श हमें हमेशा रास्ता दिखाते रहें।'यह पहली बार है कि भारत अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (आईसीएच) के संरक्षण के लिए अंतरसरकारी समिति के सत्र की मेजबानी कर रहा है। इस समिति का 20वां सत्र लाल किले में आठ से 13 दिसंबर तक आयोजित किया जा रहा है।

यूनेस्को द्वारा दीपावली उत्सव को प्रतिष्ठित सूची में शामिल किए जाने की घोषणा के बाद ‘वंदे मातरम’ और ‘भारत माता की जय’ के नारे हवा में गूंज उठे। यूनेस्को का उद्देश्य इस सूची के माध्यम से दुनिया भर में विभिन्न सांस्कृतिक परंपराओं की विविधता के प्रति जागरूकता बढ़ाना और आने वाली पीढ़ियों के लिए उनका संरक्षण सुनिश्चित करना है।

भारत ने दीपावली उत्सव को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल किए जाने पर केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि यूनेस्को ने शांति और अच्छाई की जीत की शाश्वत मानवीय अभिलाषा का सम्मान किया। दीपावली भारतीयों के लिए बेहद भावनात्मक त्योहार है, जिसे पीढ़ियों से मनाया जा रहा है। उन्होंने कहा, 'कुम्हारों से लेकर कारीगरों तक लाखों हाथ इस विरासत को जीवित रखते हैं। यूनेस्को का यह ‘टैग’ भी एक जिम्मेदारी है; हमें सुनिश्चित करना होगा कि दीपावली हमेशा एक विरासत बनी रहे। हमारे बच्चों को राम राज्य और सुशासन के त्योहार दीपावली के बारे में जानना चाहिए। आगामी दीपावली में सभी को शांति, कृतज्ञता और साझा मानवता का एक अतिरिक्त दीप जलाने के लिए आमंत्रित करें।

'दिल्ली में विशेष आयोजन, शहर जगमगाया

दिवाली को वैश्विक विरासत सूची में शामिल किए जाने के मौके पर दिल्ली सरकार ने पूरे शहर में विशेष कार्यक्रमों की घोषणा की है। प्रमुख इमारतों को भव्य रोशनी से सजाया जा रहा है, मुख्य सड़कों पर आकर्षक सजावट की गई है और एक विशाल दीप प्रज्वलन समारोह भी आयोजित किया जा रहा है।

दुनियाभर में मनाया जाने वाला त्योहार

दिवाली केवल हिंदू समुदाय ही नहीं, बल्कि सिख, जैन और भारत के बाहर बसे लाखों प्रवासी भारतीय भी इसे बड़े धूमधाम से मनाते हैं। कई समुदायों में यह पांच दिनों तक चलने वाला त्योहार है, जो अंधकार पर प्रकाश, बुराई पर अच्छाई, और अज्ञान पर ज्ञान की विजय का प्रतीक है।दिवाली आमतौर पर अमावस्या की रात को मनाई जाती है, जो हर साल अक्टूबर के अंत या नवंबर में पड़ती है। इस दौरान घरों में दीये जलाना, रंगोली सजाना, पटाखे फोड़ना, और लक्ष्मी पूजा की परंपरा विशेष रूप से निभाई जाती है।

रामायण से जुड़ी आस्था

उत्तर भारत के अधिकांश हिस्सों में दिवाली को भगवान श्रीराम के अयोध्या लौटने के रूप में मनाया जाता है, जब उन्होंने रावण का वध कर धर्म और न्याय की पुनर्स्थापना की थी। इस कारण यह त्योहार उत्सव, प्रकाश और नई शुरुआत का प्रतीक बन गया। दिवाली का गहरा संबंध लक्ष्मी, धन और समृद्धि की देवी की आराधना से भी है। लोग इस दिन नई वस्तुएं खरीदते हैं और व्यापार भी शुभ माना जाता है।

विदेश मंत्रालय ने जताई खुशी

भारत के विदेश मंत्रालय ने एक्स पर लिखा- एक आनंददायक क्षण, जब दीपावली- अच्छाई पर बुराई की जीत और भगवान राम के अयोध्या लौटने के वैश्विक पर्व को यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल किया गया। इस घोषणा के बाद भारत के सांस्कृतिक इतिहास को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक और नई पहचान मिली है और दिवाली का वैश्विक महत्व और भी प्रखर होकर सामने आया है। भारत की 15 चीजें वर्तमान में यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची में शामिल हैं, जिनमें कुंभ मेला, कोलकाता की दुर्गा पूजा, गुजरात का गरबा नृत्य, योग, वैदिक मंत्रोच्चार की परंपरा और रामलीला - महाकाव्य ‘रामायण’ का पारंपरिक प्रदर्शन शामिल हैं।

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