यमुना में 22 गांवों में मास्टर प्लान से बाहर खरीदी गई जमीन

 सपा व बसपा शासन काल में यमुना एक्सप्रेस-वे शहर में औद्योगिक विकास पर ध्यान देने के बजाय नेताओं, अधिकारियों व भूमाफियाओं के गठजोड़ ने किसानों से सीधे जमीन खरीद कर मुनाफे कमाने में जुटे रहे;

Update: 2017-09-20 13:37 GMT

ग्रेटर नोएडा।  सपा व बसपा शासन काल में यमुना एक्सप्रेस-वे शहर में औद्योगिक विकास पर ध्यान देने के बजाय नेताओं, अधिकारियों व भूमाफियाओं के गठजोड़ ने किसानों से सीधे जमीन खरीद कर मुनाफे कमाने में जुटे रहे। गठजोड़ ने मास्टर प्लान से बाहर की जमीने खरीद कर यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण को तीन हजार करोड़ से ज्यादा का चूना लगाया। इसी का नतीजा रहा कि यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण कर्ज में डूब गया। अब मास्टर प्लान से बाहर खरीद गई जमीन की जांच चल रही है।

जांच में जमीन घोटालों की परत दर परत खुलती जा रही है। घोटाले में सपा सरकार में ऐसे कई नेताओं उनके रिश्तेदारों, अधिकारियों का नाम सामने आ रहा है, जिन्होंने किसानों से कौड़ियों के भाव जमीन खरीदी और कुछ माह बाद उस जमीन को सोने के भाव यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण को बेच दिया। घोटालेबाजों ने जमीन का मूल मुआवजा उठाया भी साथ ही 64.7 फीसदी का अतिरिक्त मुआवजा भी उठा लिया। इसमें सपा के एक पूर्व व सांसद का भी नाम सामने आ चुका है। 

प्रदेश में सत्ता परितर्वन होने के बाद भाजपा सरकार को लगातार शिकायत मिली कि सपा व बसपा सरकार में यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण में मास्टर प्लान से बाहर की जमीन खरीदी गई। वह जमीन आने वाले दस साल तक प्राधिकरण के किसी काम की नहीं है। नेताओं, अधिकारियों ने अपने रिश्तेदारों के एक माह किसान से जमीन खरीदी। और कुछ माह उसे प्राधिकरण ने सोने के भाव खरीद लिया। यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण के चेयरमैन डॉ. प्रभात कुमार को पहले शिकायत मिली थी कि गौतमबुद्धनगर में करीब चार से पांच गांव में मास्टर प्लान से बाहर की जमीन टुकड़ों-टुकड़ों में खरीद गई।

प्राधिकरण इन गांव में ज्यादातर जमीन दूसरे जिलों के रहने वालों से खरीदी है। प्राधिकरण ने इसकी जांच कराने का फैसला लिया। चेयरमैन के आदेश पर जांच शुरू हुआ। जांच शुरू होने पर प्राधिकरण ने मास्टर प्लान से बाहर खरीदी गई जमीन का रिकार्ड खंगालना शुरू किया तो वे हैरत में पड़ गए। जांच का दायरा चार से पांच गांव से बढ़ कर पंद्रह गांवों तक पहुंच गया। करीब 15 गांव में मास्टर प्लान से बाहर की जमीन खरीद गई। घोटाले बाजों ने इन गांवों का नाम प्राधिकरण के ड्राफ्ट मास्टर प्लान में शामिल करा लिया। ड्राफ्ट मास्टर प्लान के आधार पर 15 गांवों की जमीन प्राधिकरण ने खरीद ली।

मास्टर प्लान को जब अंतिम मंजूरी दी गई तो इन पंद्रह गांवों को मास्टर प्लान से बाहर निकाल दिया गया। कई ऐसी कंपनियों का नाम भी सामने आ रहा जिनसे प्राधिकरण ने बैनामे के आधार पर जमीन खरीदी। कंपनियों ने कुछ माह पहले किसानों से जमीन खरीदी थी। जांच में खुलासा हो रहा है कि कंपनियां किसकी है। जिसमें सपा से जुड़े कई नेताओं व उनके रिश्तेदारों के नाम कंपनी है। माना जा रहा है कि जांच में 15 गांव में कितनी जमीन खरीदी गई उसका पूरा आंकड़ा इकटठा कर लिया गया साथ ही उन लोगों के नाम भी सामने आ चुके है जिन्होंने प्राधिकरण के नाम जमीन का बैनामा किया है। 

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