यूएन: इराक में बारूदी सुरंगों से 500 से ज्यादा बच्चे मारे गए या घायल हुए
संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि इराक में बारूदी सुरंगों की वजह से सैकड़ों बच्चों की जान चली गई है.;
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) और संयुक्त राष्ट्र माइन एक्शन सर्विस (यूएनएमएएस) ने साझा रिपोर्ट में कहा कि "प्रभावित बच्चों में 80 प्रतिशत लड़के हैं." रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि "लड़के बाल श्रम की घटनाओं से असमान रूप से प्रभावित हुए हैं क्योंकि ये लड़के हैं जो भेड़ और बकरियों को चराते हैं या धातु इकट्ठा कर उसे बेचते हैं."
हालांकि रिपोर्ट में कहा गया है कि इराक हाल के वर्षों में "खुले संघर्ष" का शिकार नहीं हुआ है, लेकिन विस्फोटक हथियारों के प्रभाव आने वाले वर्षों तक महसूस किए जाएंगे.
चैरिटी ह्यूमैनिटी एंड इंक्लूजन की एक रिपोर्ट के मुताबिक इराक "दुनिया के उन देशों में से एक है जो विस्फोटकों से सबसे ज्यादा ग्रस्त है." यह अनुमान लगाया गया है कि 3225 वर्ग किलोमीटर से अधिक के क्षेत्र बिना फटे हुए विस्फोटों से खतरनाक रूप से दूषित हैं.
विस्फोटक मुख्य रूप से ईरान, कुवैत और सऊदी अरब की सीमाओं के पास मौजूद हैं. ये सभी वह क्षेत्र हैं जहां इराक पिछले चार दशकों से सशस्त्र संघर्ष में उलझा हुआ है.
युद्ध के बाद बचे हुए विस्फोटक
बगदाद ने 1980 से 1988 तक ईरान के साथ युद्ध लड़ा, साथ ही पहला खाड़ी युद्ध, जो 1990 में कुवैत पर आक्रमण के साथ शुरू हुआ था. इसके बाद 2014 और 2017 के बीच एक अंतरराष्ट्रीय गठबंधन द्वारा समर्थित इराकी सेना ने इस्लामिक स्टेट जिहादी समूह के खिलाफ लड़ाई लड़ी.
यूनिसेफ और यूएनएमएएस के एक संयुक्त बयान में सभी पक्षों से बारूदी सुरंगों और युद्ध में बचे हुए विस्फोटक अवशेष को हटाने के प्रयासों में तेजी लाने में मदद करने का आह्वान किया गया. बयान के मुताबिक, "सभी पक्षों को बारूदी सुरंगों और विस्फोटकों को हटाने, पीड़ितों की मदद में सुधार लाने और बच्चों के सुरक्षित वातावरण में रहने के मूल अधिकार का समर्थन करने के लिए अपने प्रयासों को तेज करना चाहिए."
दुनिया भर के कम से कम 59 देशों में अभी भी बारूदी सुरंगें हैं. सूडान और अफगानिस्तान सबसे बुरी तरह प्रभावित हैं. यूएन हर साल 4 अप्रैल को इंटरनेशनल डे फॉर माइन एक्शन एंड अवेयरनेस डे के रूप में मनाता है.