कर्नाटक: सिद्दारमैया ने अपने मुख्यमंत्री पद को बचाने की कोशिशें की तेज़
कर्नाटक में मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने अपनी कुर्सी बचाने की कोशिशें तेज़ कर दीं हैं जबकि उपमुख्यमंत्री डी. के. शिवकुमार के खेमे ने नयी दिल्ली में पार्टी आलाकमान पर दबाव बढ़ा दिया है;
सिद्दारमैया ने मुख्यमंत्री पद को बरकरार रखने की कोशिशें तेज़ कीं
बेंगलुरु। कर्नाटक में मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने अपनी कुर्सी बचाने की कोशिशें तेज़ कर दीं हैं जबकि उपमुख्यमंत्री डी. के. शिवकुमार के खेमे ने नयी दिल्ली में पार्टी आलाकमान पर दबाव बढ़ा दिया है।
शिवकुमार के 2023 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की जीत के बाद "पांच-छह नेताओं के बीच नेतृत्व परिवर्तन पर एक गोपनीय समझ" होने की बात सबके सामने कहने के एक दिन बाद उनके गुट ने ढाई साल के सत्ता साझेदारी फॉर्मूले का हवाला देते हुए राष्ट्रीय राजधानी का दौरा किया है। उनके साथ जुड़े कई विधायकों ने दिल्ली में शीर्ष नेताओं से मुलाकात की और केन्द्रीय नेतृत्व से तुरंत फैसला लेने की अपील की।
शिवकुमार ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए सीधे टकराव से परहेज किया लेकिन विवेक आधारित राजनीति पर अपना रूख दोहराते हुए कहा कि कांग्रेस को अंदरूनी झगड़े से कमजोर नहीं होना चाहिये।
इस बीच सिद्दारमैया ने अपना दावा मजबूत करने के लिए साथ-साथ कोशिशें भी शुरू कीं। मुख्यमंत्री ने आलाकमान को बताया कि बदलाव को लेकर जो अनिश्चितता है वह खत्म होनी चाहिए और आखिरी फैसला केन्द्रीय नेतृत्व को ही लेना चाहिये।
उन्होंने गुरुवार सुबह अपने आवास पर जी. परमेश्वर, सतीश जारकीहोली, महादेवप्पा, वेंकटेश और कृष्णा बायरे गौड़ा समेत वरिष्ठ मंत्रियों के साथ एक बैठक बुलायी थी।
सूत्रों के अनुसार कर्नाटक की राजनीति में इस मामले को लेकर जारी विवाद के बीच कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने दखल देते हुए उन्हें और शिवकुमार दोनों को नयी दिल्ली बुलाया है। खरगे ने पुष्टि की है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी और अन्य नेता विवाद सुलझाने के मकसद से होने वाली इस बातचीत में हिस्सा लेंगे। इस बैठक के आज दिन में होने की उम्मीद हैं।
खरगे ने कहा, "मैं सभी को बुलाऊंगा और बातचीत करूंगा। श्री राहुल गांधी के अलावा दूसरे सदस्य भी मौजूद रहेंगे। पूरी टीम के साथ बातचीत के बाद फैसला लिया जाएगा।"
इस मामले को लेकर राज्य में स्थिति अस्थिर बनी हुई है क्योंकि दोनों खेमे अपनी स्थिति मजबूत कर रहे हैं, जिससे कांग्रेस नेतृत्व पर एक निर्णायक समाधान का दबाव बना हुआ है।